क्या साक्षी ने विश्व मुक्केबाजी कप में भारत को पहला स्वर्ण दिलाया?

सारांश
Key Takeaways
- साक्षी ने 54 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।
- भारतीय टीम ने कुल 11 पदक जीते हैं।
- अस्ताना में भारतीय प्रदर्शन संतोषजनक रहा है।
- जुगनू और पूजा रानी ने भी रजत पदक जीते।
- अगले सत्र में चार भारतीय मुक्केबाज स्वर्ण पदक के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे।
अस्ताना, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में चल रहे विश्व मुक्केबाजी कप में, रविवार को दो बार की युवा विश्व चैंपियन साक्षी ने 54 किग्रा वर्ग का फाइनल जीतकर देश के लिए पहला स्वर्ण पदक हासिल किया।
भारतीय मुक्केबाजी टीम ने अस्ताना में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 11 पदक सुनिश्चित किए हैं, जिनमें से एक पदक को साक्षी ने स्वर्ण में बदलने में सफलता पाई है। साक्षी ने अमेरिका की योसलाइन पेरेज को हराकर स्वर्ण पदक जीता।
रविवार को पहले सत्र में चार भारतीय मुक्केबाज मुकाबले में उतरे, लेकिन साक्षी एकमात्र मुक्केबाज रहीं जिन्होंने देश के लिए गोल्ड जीता।
इससे पहले, मीनाक्षी ने 48 किग्रा वर्ग के फाइनल में स्थानीय प्रतिद्वंद्वी नाजिम काइजाइबे से 3:2 से हार का सामना किया।
जुगनू (पुरुष 85 किग्रा) और पूजा रानी (महिला 80 किग्रा) अपने-अपने फाइनल में हारने के बाद रजत पदक लेकर लौटेंगे। जुगनू को कजाकिस्तान के बेकजाद नूरदौलेटोव के खिलाफ 0:5 से हार मिली, जबकि पूजा को ऑस्ट्रेलिया की एसेटा फ्लिंट के खिलाफ इसी स्कोर से हार का सामना करना पड़ा।
शाम के सत्र में चार और भारतीय मुक्केबाज स्वर्ण पदक के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे, जिनमें ब्राजील चरण के स्वर्ण पदक विजेता हितेश गुलिया (70 किग्रा) शामिल हैं। अविनाश जामवाल (65 किग्रा), जैस्मीन (57 किग्रा) और नूपुर (85+ किग्रा) भी इस सत्र में भाग लेंगे।
अस्ताना में भारतीय मुक्केबाजों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत अच्छा रहा है। भारतीय टीम ने ब्राजील में पहले चरण में एक स्वर्ण और एक रजत सहित कुल छह पदक जीते थे। इस बार पदकों की संख्या में वृद्धि हुई है।