क्या साउथ अफ्रीकी क्रिकेट टीम का पहला भारत दौरा मुंह की खाई?
सारांश
Key Takeaways
- साउथ अफ्रीकी टीम ने 1960 के दशक में रंगभेद नीति के कारण कई सालों तक क्रिकेट नहीं खेला।
- 1991 में बैन हटने के बाद भारत दौरा, एक नई शुरुआत का संकेत था।
- पहले मैच में हार के बावजूद, एलन डोनाल्ड ने शानदार प्रदर्शन किया।
- दूसरे और तीसरे मैच में भी साउथ अफ्रीका को चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- तीसरे मैच में साउथ अफ्रीका ने अपनी पहली वनडे जीत दर्ज की।
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। साउथ अफ्रीकी टीम ने 1960 के दशक तक केवल ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ ही क्रिकेट मैच खेले। इस दौरान 'रंगभेद नीति' के खिलाफ विरोध जारी रहा, जिसके परिणामस्वरूप इस टीम पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
21 वर्षों के बाद जब साउथ अफ्रीकी टीम पर से यह बैन हटा, तो उसने सबसे पहले भारत के खिलाफ सीरीज खेली। साउथ अफ्रीकी टीम नवंबर 1991 में तीन वनडे मैचों की सीरीज के लिए भारत का दौरा करने आई।
उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच सीरीज रद्द हो गई थी, जिसके बाद बीसीसीआई ने तुरंत किसी अन्य देश के साथ सीरीज आयोजित करने का फैसला किया। इस तरह भारत और साउथ अफ्रीका के बीच नवंबर में वनडे सीरीज का आयोजन किया गया।
साउथ अफ्रीकी टीम ने 10 नवंबर 1991 को अपना पहला वनडे मैच खेला। यह मैच कोलकाता के ईडन गार्डन्स में 47-47 ओवरों का था, जिसमें साउथ अफ्रीकी टीम ने टॉस खो दिया।
भारत ने मेहमान टीम को पहले बल्लेबाजी करने का मौका दिया, और साउथ अफ्रीकी टीम ने 8 विकेट खोकर केवल 177 रन बनाए। इस पारी में केप्लर वेसल्स ने 95 गेंदों में 50 रन बनाए। भारत की ओर से कपिल देव और मनोज प्रभाकर ने 2-2 विकेट लिए।
भारत ने जवाब में सचिन तेंदुलकर (62) और प्रवीण आमरे (55) की शानदार पारियों के दम पर 40.4 ओवर में 3 विकेट से जीत हासिल की। भले ही साउथ अफ्रीकी टीम ने मैच हार दिया, लेकिन एलन डोनाल्ड ने 8.4 ओवर में 29 रन देकर 5 विकेट चटकाकर सबका ध्यान आकर्षित किया।
साउथ अफ्रीकी टीम ने अपने वनडे करियर का पहला मैच खो दिया। अब सीरीज बचाने के लिए उसे ग्वालियर में 12 नवंबर को होने वाले मैच को हर हाल में जीतना था, लेकिन मेजबान टीम ने फिर से उसके इरादों पर पानी फेर दिया।
ग्वालियर में साउथ अफ्रीका ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला लिया। भारत ने 45 ओवर में 6 विकेट खोकर 223 रन बनाए। कृष्णम्माचारी श्रीकांत (68) और नवजोत सिद्धू (61) ने पहले विकेट के लिए 130 रन जोड़े।
इसके जवाब में साउथ अफ्रीकी टीम 45 ओवर में 8 विकेट खोकर केवल 185 रन बना सकी। केप्लर वेसल्स ने 96 गेंदों में 71 रन बनाए लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सके। हालांकि, उन्हें 'प्लेयर ऑफ द मैच' का खिताब दिया गया।
साउथ अफ्रीकी टीम ने अपने वनडे इतिहास की पहली सीरीज खो दी थी, लेकिन सम्मान बचाने का एक और मौका था।
सीरीज का तीसरा मैच दिल्ली में हुआ, जहां भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 4 विकेट खोकर 287 रन बनाए। कप्तान रवि शास्त्री ने नाबाद 109 रन बनाए।
साउथ अफ्रीकी टीम ने इस बार भी हार की ओर बढ़ रही थी, लेकिन केप्लर वेसल्स ने जिम्मी कुक के साथ पहले विकेट के लिए 72 रन की साझेदारी कर टीम को मजबूत शुरुआत दी।
जिम्मी ने 35 रन बनाए, फिर वेसल्स ने पीटर क्रिश्चियन के साथ दूसरे विकेट के लिए 111 रन जोड़े। वेसल्स 10 चौकों के साथ 90 रन बनाकर पवेलियन लौटे। पीटर ने अद्रियन कुइपर के साथ टीम को 46.4 ओवर में जीत दिलाई। यह साउथ अफ्रीका के वनडे इतिहास की पहली जीत थी।