क्या वह भारतीय कप्तान बेखौफ थे, जिसने साथी खिलाड़ी को 'वॉकआउट' के लिए कह दिया?

सारांश
Key Takeaways
- सुनील गावस्कर का जन्म 10 जुलाई 1949 को हुआ।
- उन्होंने 125 टेस्ट मैच खेले और 10,122 रन बनाये।
- गावस्कर ने 1981 में मेलबर्न टेस्ट में एक बड़ा फैसला लिया।
- भारत ने उस मैच में 59 रन से जीत दर्ज की।
- गावस्कर का औसत टेस्ट क्रिकेट में 51.12 है।
नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय क्रिकेट के 'लिटिल मास्टर' सुनील गावस्कर को दुनिया के सबसे महान बल्लेबाजों में गिना जाता है। इस पूर्व कप्तान ने उस समय अद्भुत पारियां खेलीं, जब क्रिकेट के मैदान पर तेज गेंदबाजों का वर्चस्व था।
यह वह समय था, जब बल्लेबाजों के पास न तो बेहतरीन बैट थे और न ही कोई सुरक्षा उपकरण। फिर भी, गावस्कर ने कई साहसिक पारियां खेलकर दिखाया कि क्रिकेट में हिम्मत कैसे की जाती है।
10 जुलाई 1949 को मुंबई में जन्मे सुनील गावस्कर की शारीरिक कद-काठी भले ही छोटी थी, लेकिन क्रिकेट की दुनिया में उनका प्रभाव बहुत बड़ा था। मैदान पर वे निडर और बेखौफ थे।
साल 1981 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक ऐसा टेस्ट मैच हुआ, जिसमें गावस्कर के एक फैसले ने क्रिकेट की दुनिया को हिलाकर रख दिया।
टीम इंडिया पहले मैच में हार चुकी थी, जो सिडनी में खेला गया था। इसके बाद भारत ने किसी तरह से दूसरे मैच को ड्रॉ करवाने में सफलता पाई।
अब टीम इंडिया के पास इस तीन मैचों की सीरीज को बराबर करने का एक ही रास्ता था, तीसरे टेस्ट को हर हाल में जीतना।
इस सीरीज में खराब अंपायरिंग ने भारत के लिए कई चुनौतियां खड़ी की थीं।
मेलबर्न में तीसरे टेस्ट की पहली पारी में भारतीय टीम केवल 237 रन पर सिमट गई, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 419 रन बनाए।
पहली पारी के आधार पर टीम इंडिया 182 रनों से पीछे थी, लेकिन दूसरी पारी में भारत की सलामी जोड़ी ने उम्मीदें बांध दी थीं।
सुनील गावस्कर और चेतन चौहान ने पहले विकेट के लिए 165 रन जोड़ लिए थे। गावस्कर ने 70 रन बनाकर खेल रहे थे। तभी डेनिस लिली की एक गेंद गावस्कर के पैड पर लगी और अंपायर रेक्स व्हाइटफील्ड ने उन्हें एलबीडब्ल्यू करार दे दिया।
गावस्कर इससे नाखुश थे और अंपायर को समझाने की कोशिश की। कुछ समय बाद, जब वे पवेलियन की ओर जा रहे थे, तो उन्होंने चेतन चौहान से भी वापसी करने को कह दिया।
गावस्कर के कहने पर चौहान हिचकिचाते हुए वापस लौटने लगे, लेकिन भारतीय टीम के ग्रुप मैनेजर एसएके दुर्रानी ने समय पर चौहान को रोक लिया।
भारत ने इस पारी में 324 रन बनाए और कपिल देव ने अगली पारी में मेजबान टीम को केवल 83 रन पर समेट दिया। टीम इंडिया ने मैच 59 रन से जीतकर सीरीज को 1-1 से बराबर किया।
हालांकि, कई वर्षों बाद गावस्कर ने बताया कि वे अंपायर के फैसले से नाराज नहीं थे, लेकिन निराश अवश्य थे। उन्होंने कहा कि जब वे ड्रेसिंग रूम की ओर लौट रहे थे, तब ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने उन्हें अपशब्द कहे, जिससे नाराज होकर उन्होंने चेतन चौहान से वापस लौटने को कहा।
सुनील गावस्कर ने भारत के लिए 125 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 51.12 की औसत से 10,122 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से चार दोहरे शतक, 34 शतक और 45 अर्धशतक निकले। वहीं, 108 वनडे में, गावस्कर ने 35.14 की औसत से 3,092 रन बनाए।