क्या यू मुंबा के कप्तान सुनील कुमार ने अपने बचपन के कोच को सम्मानित किया?

Click to start listening
क्या यू मुंबा के कप्तान सुनील कुमार ने अपने बचपन के कोच को सम्मानित किया?

सारांश

यू मुंबा के कप्तान सुनील कुमार ने अपने बचपन के कोच भूपेंद्र मलिक को 25 लाख रुपये का चेक भेंट कर उनकी कड़ी मेहनत और समर्थन को सम्मानित किया है। यह क्षण न केवल सुनील के लिए बल्कि कबड्डी समुदाय के लिए प्रेरणादायक है। जानें इस भावनात्मक पल की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • सुनील कुमार ने अपने कोच को सम्मानित करने के लिए 25 लाख रुपये
  • भूपेंद्र मलिक ने कई पीकेएल खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया है।
  • यह इशारा गुरु-शिष्य के रिश्ते की महत्ता को दर्शाता है।
  • सुनील ने रक्षात्मक तकनीकें और नेतृत्व कौशल अपने कोच से सीखे।
  • यह पल कबड्डी समुदाय के लिए एक प्रेरणा है।

मुंबई, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। यू मुंबा के कप्तान सुनील कुमार ने एक अनोखे पल में कृतज्ञता और सम्मान की भावना का प्रदर्शन किया, जो न केवल उनके रक्षात्मक कौशल के लिए सुर्खियां बटोरने के लिए था, बल्कि उनके करियर को आकार देने वाले व्यक्ति के प्रति उनका दिल से किया गया इशारा था।

प्रो कबड्डी लीग की नीलामी के बाद, इस स्टार डिफेंडर ने अपने बचपन के कोच भूपेंद्र मलिक को 25 लाख रुपये का चेक भेंट किया, जिसे उनके गुरु के प्रति गहरी भावनात्मक श्रद्धांजलि के रूप में वर्णित किया जा सकता है।

सुनील ने कहा, "भूपेंद्र मलिक मेरे बचपन के गुरु हैं। उन्होंने मुझे पहली बार कबड्डी से परिचित कराया।" कोच ने न केवल सुनील की प्रतिभा को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि कई अन्य पीकेएल खिलाड़ियों की भी। यह बात और भी उल्लेखनीय है कि भूपेंद्र मलिक का कोचिंग के प्रति निस्वार्थ दृष्टिकोण है - वे 20-25 वर्षों से बिना किसी शुल्क के खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं।

छात्र और शिक्षक के बीच का यह भावनात्मक आदान-प्रदान विशेष रूप से मार्मिक था। शुरुआत में, भूपेंद्र मलिक उदार उपहार स्वीकार करने के लिए अनिच्छुक थे, लेकिन सुनील अपने विश्वास में दृढ़ थे। जैसा कि उन्होंने बताया, यह केवल एक वित्तीय लेनदेन नहीं था - यह उनके गुरु द्वारा किए गए हर काम के लिए सम्मान का भाव था। इस पल ने एक ऐसे गुरु-शिष्य के बीच सुंदर रिश्ते को दर्शाया जिसने सब कुछ दिया और एक ऐसे छात्र जिसने अपनी जड़ों को कभी नहीं भुलाया।

सुनील के लिए, यह केवल पैसे के बारे में नहीं था - यह मान्यता और सम्मान के बारे में था। वह अपने गुरु को श्रेय देते हैं कि उन्होंने उन्हें आज जो डिफेंडर बनाया है, उसे कवर पोजीशन में खेलना सिखाया और उन्हें एक लीडर के रूप में ढाला। सुनील ने जोर देकर कहा, "मैंने पीकेएल में जो कुछ भी हासिल किया है, वह सब उनके प्रशिक्षण की वजह से है।" उन्होंने स्वीकार किया कि उनके कोच ने उन्हें न केवल रक्षात्मक तकनीकें सिखाईं, बल्कि नेतृत्व कौशल भी सिखाया जिसने उन्हें लीग में सबसे दुर्जेय डिफेंडरों में से एक बना दिया है।

यह क्षण खिलाड़ियों के जीवन पर प्रो कबड्डी लीग के परिवर्तनकारी प्रभाव को भी दर्शाता है। सुनील ने कहा, "पहले कुछ भी नहीं था। अब पैसा आ गया है, नाम और शोहरत खिलाड़ियों को मिल गई है। दुनिया हम कबड्डी खिलाड़ियों को जानने लगी है।" पीकेएल 11 खिलाड़ी नीलामी में सबसे महंगे भारतीय डिफेंडर के रूप में, वह सबसे बेहतर समझते हैं कि पीकेएल ने खेल और उसके एथलीटों को कैसे ऊंचा उठाया है। सुनील ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं। मैंने अपने गुरु को सम्मान दिया है, उनकी संतोषी भावनाएं स्पष्ट थीं। ऐसे युग में जहां सफलता अक्सर भूली हुई शुरुआत की ओर ले जाती है, सुनील कुमार का इशारा एक अनुस्मारक के रूप में है कि महानता उन लोगों को कभी न भूलने की नींव पर बनी है जिन्होंने पहले आप पर विश्वास किया था।

Point of View

यह पल न केवल सुनील कुमार के लिए बल्कि पूरे कबड्डी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह दिखाता है कि कैसे एक शिक्षक छात्र के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कैसे सफलता की कहानी कभी न भूलने वाली जड़ों पर आधारित होती है।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

सुनील कुमार ने अपने कोच को क्यों सम्मानित किया?
सुनील कुमार ने अपने कोच भूपेंद्र मलिक को 25 लाख रुपये का चेक भेंट कर उनके योगदान और समर्थन के लिए सम्मानित किया।
भूपेंद्र मलिक का कबड्डी में योगदान क्या है?
भूपेंद्र मलिक ने 20-25 वर्षों से बिना किसी शुल्क के कई खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया है और कई पीकेएल खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारा है।
सुनील कुमार कबड्डी में कैसे सफल हुए?
सुनील कुमार का कहना है कि उन्होंने अपने कोच से सीखी गई तकनीक और नेतृत्व कौशल के कारण ही पीकेएल में सफलता हासिल की है।
क्या यह पल कबड्डी के लिए महत्वपूर्ण है?
हाँ, यह पल कबड्डी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि कैसे एक कोच का योगदान खिलाड़ियों की सफलता में अहम होता है।
सुनील कुमार का कोचिंग के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
सुनील कुमार अपने कोच की निस्वार्थता और उनके योगदान के प्रति बहुत सम्मानित हैं, और उन्होंने अपने गुरु को कभी नहीं भुलाया।