क्या सूरजभान मीणा ने पैरा नेशनल स्वीमिंग चैंपियनशिप में 3 गोल्ड जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित किया?
सारांश
Key Takeaways
- सूरजभान मीणा ने 25वीं पैरा नेशनल स्वीमिंग चैंपियनशिप में 3 गोल्ड जीते।
- वे जन्म से दृष्टीहीन हैं, लेकिन उनकी मेहनत ने उन्हें सफल बनाया।
- सूरजभान ने जयपुर में तैराकी का अभ्यास किया।
- डिंपल वैष्णव ने भी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया।
- यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि दिव्यांगता कभी भी बाधा नहीं बन सकती।
नई दिल्ली, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के मैनपुरा गांव के निवासी सूरजभान मीणा ने अपनी अद्वितीय उपलब्धि से पूरे देश में अपने जिले का नाम रोशन किया है। जन्म से दृष्टीहीन होने के बावजूद, सूरजभान ने मेहनत, लगन और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर 25वीं पैरा नेशनल स्वीमिंग चैंपियनशिप में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए जिले का गौरव बढ़ाया है।
सूरजभान मीणा ने जयपुर में लंबे समय तक तैराकी का अभ्यास किया और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपनी भागीदारी निभाई।
हैदराबाद में आयोजित पैरा नेशनल स्वीमिंग चैंपियनशिप में, सूरजभान ने 50 मीटर, 100 मीटर और 200 मीटर की तैराकी प्रतियोगिता में भाग लिया। इन तीनों स्पर्धाओं में उन्होंने गोल्ड मेडल जीते।
राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में जिले का नाम रोशन करने के बाद, जब सूरजभान मीणा वापस सवाई माधोपुर पहुंचे, तो कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर मंत्री ने उनके साहस की प्रशंसा की।
सूरजभान मीणा ने पदक जीतने पर खुशी जताते हुए कहा, "मैंने हैदराबाद में आयोजित 25वीं पैरा नेशनल स्वीमिंग चैंपियनशिप में 50, 100 और 200 मीटर तैराकी इवेंट में हिस्सा लिया था। मैंने तीनों ही इवेंट में गोल्ड मेडल जीते और शीर्ष पर रहा। मैंने साल 2022 से तैराकी शुरू की थी। मैं जयपुर में प्रैक्टिस करता था। इससे पहले भी मैंने तीन बार नेशनल खेला है।"
हैदराबाद में 15 से 18 नवंबर तक चली इस प्रतियोगिता में देशभर से आए पैरा स्विमर्स ने हिस्सा लिया। इस बीच, डिंपल वैष्णव का प्रदर्शन भी प्रेरणादायक रहा, जिन्होंने दिव्यांगता को कभी कमजोरी नहीं बनने दिया।
जोधपुर की डिंपल वैष्णव ने 1 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल जीतकर राजस्थान का नाम रोशन किया है। डिंपल ग्वालियर के अटल बिहारी वाजपेयी दिव्यांग प्रशिक्षण केंद्र में अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमिंग प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कोच शेराराम परिहार और योगेंद्र मनीष को इस सफलता का श्रेय दिया है, जिन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया।