क्या <b>ट्रैम्पोलिन</b> ने ओलंपिक में जिमनास्ट को मेडल दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?
सारांश
Key Takeaways
- ट्रैम्पोलिन एक अद्वितीय जिम्नास्टिक खेल है।
- इसका इतिहास 1934 में शुरू हुआ।
- 2000 में ओलंपिक में शामिल हुआ।
- जिमनास्ट कई तकनीकी करतब करते हैं।
- भारत में इसकी संभावनाएं बढ़ रही हैं।
नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ट्रैम्पोलिन एक अनोखा जिम्नास्टिक खेल है, जिसमें खिलाड़ी लचीले जाल पर उछलते हुए हवा में कलाबाजियां और संतुलन वाले करतब दिखाते हैं। इस खेल का महत्व ऊंचाई, तकनीक, नियंत्रण और सुरक्षित लैंडिंग में निहित है, जिसने इसे ओलंपिक स्तर पर भी पहचान दिलाई है।
आधुनिक ट्रैम्पोलिन का अविष्कार जॉर्ज निसेन और लैरी ग्रिसवॉल्ड ने 1934 में किया था, जो सर्कस के कलाकारों के सुरक्षा जाल से प्रेरित थे। जब उन्होंने देखा कि सर्कस के कलाकार इन जालियों पर फ्लिप और अन्य एक्रोबेटिक स्टंट कर रहे हैं, तब उन्हें इसके आधुनिक रूप को विकसित करने का विचार आया। उन्होंने स्क्रैप मेटल और कैनवास से पहला नमूना बनाया, जिसे ट्रैम्पोलिन नाम दिया गया।
उनका बनाया ट्रैम्पोलिन सबसे पहले अंतरिक्ष यात्रियों और टंबलर्स द्वारा उपयोग किया गया।
फ्रांसीसी पायलटों ने अपने वेस्टिबुलर सिस्टम को प्रशिक्षित करने के लिए ट्रैम्पोलिन का उपयोग करना शुरू किया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद, यह खेल अमेरिका में लोकप्रिय हुआ, जहाँ इसे एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग के लिए भी इस्तेमाल किया गया।
1940 के दशक में इसे एक खेल के रूप में मान्यता मिली। 1948 में पहली अमेरिका नेशनल चैंपियनशिप का आयोजन हुआ। 1957 में यूरोप में इसका मुख्यालय स्थापित किया गया। 1958 में इंग्लैंड ने पहली नेशनल चैंपियनशिप का आयोजन किया। पहली विश्व चैंपियनशिप 1964 में हुई, उसी वर्ष अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्टिक महासंघ की स्थापना भी हुई।
2000 के सिडनी ओलंपिक में इस खेल को पहली बार आधिकारिक रूप से ओलंपिक में स्थान मिला, जिसमें पुरुषों के साथ-साथ महिला एथलीटों ने भी भाग लिया।
ट्रैम्पोलिन में जिमनास्ट 'फॉरवर्ड' और 'बैकवर्ड' फ्लिप करते हैं। इसमें 'ट्रिफस' और 'मिलर' जैसे कठिन करतब भी शामिल किए जा सकते हैं। ट्रिफस में एक हाफ ट्विस्ट के साथ ट्रिपल फ्रंट समरसॉल्ट होता है, जबकि मिलर में तीन ट्विस्ट के साथ डबल बैक फ्लिप होता है।
ओलंपिक में इस खेल में स्कोर के लिए चार मुख्य श्रेणियां होती हैं: एग्जीक्यूशन, डिफिकल्टी, हॉरिजॉन्टल डिस्प्लेसमेंट और टाइम टू फ्लाइट।
ओलंपिक में ट्रैम्पोलिन का आकार 5.05 मीटर लंबा और 2.91 मीटर चौड़ा होता है। इसकी ऊंचाई लगभग 1.155 मीटर होती है। ट्रैम्पोलिन का बेड सिंथेटिक सामग्री से बना होता है, जो एथलीटों को 8 मीटर तक हवा में उछलने की अनुमति देता है।
फ्रेम के चारों ओर सुरक्षा मैट लगे होते हैं, और फर्श पर भी 2 मीटर चौड़े सुरक्षा मैट होते हैं। पूरे हॉल की ऊंचाई 8-10 मीटर होती है।
भारत में ट्रैम्पोलिन जिम्नास्टिक अभी प्रारंभिक चरण में है। उत्कृष्ट ट्रेनिंग और कोचिंग के माध्यम से भविष्य में भारतीय जिमनास्ट इस खेल में पदक जीत सकते हैं। इसके लिए खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुभव की आवश्यकता होगी।