क्या वेंकटपति राजू ने अपने पहले मैच में कीवी गेंदबाजों को परेशान किया?

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क्या वेंकटपति राजू ने अपने पहले मैच में कीवी गेंदबाजों को परेशान किया?

सारांश

वेंकटपति राजू, एक अद्वितीय बाएं हाथ के स्पिनर, जिन्होंने अपने छोटे करियर में शानदार प्रदर्शन किया। जानिए उनकी कहानी और क्रिकेट में उनके योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • वेंकटपति राजू का जन्म 9 जुलाई 1969 को हुआ।
  • उन्होंने अपने पहले मैच में कीवी गेंदबाजों को परेशान किया।
  • राजू ने कुल 28 टेस्ट और 53 वनडे मैच खेले।
  • उनका करियर चोटों से प्रभावित रहा।
  • क्रिकेट से संन्यास के बाद उन्होंने कोचिंग और प्रशासन में योगदान दिया।

नई दिल्ली, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने वाले सभी क्रिकेटर्स का करियर लम्बा नहीं होता। फिर भी, कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका नाम छोटे करियर में भी सम्मान से लिया जाता है। वेंकटपति राजू ऐसा ही एक नाम है।

वेंकटपति राजू का जन्म 9 जुलाई 1969 को आंध्र प्रदेश में हुआ। इनका पूरा नाम सागी लक्ष्मी वेंकटपति राजू है। क्रिकेट के प्रति बचपन से रुचि रखने वाले राजू ने 1990 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे और टेस्ट में पदार्पण किया। 1989-90 के घरेलू सत्र में 32 विकेट लेने के कारण उन्हें राष्ट्रीय टीम में मौका मिला।

राजू का करियर चोटों से प्रभावित रहा, जिससे यह ज्यादा लम्बा नहीं चला। 1990 में पदार्पण करने वाले राजू ने 1996 में अपना अंतिम वनडे और 2001 में अंतिम टेस्ट खेला। बाएं हाथ के स्पिनर राजू ने 28 टेस्ट मैचों में 93 और 53 वनडे में 63 विकेट लिए।

राजू अपनी बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी के लिए प्रसिद्ध हैं। पहले मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने कीवी गेंदबाजों को अपनी बल्लेबाजी से परेशान कर दिया। दो घंटे से अधिक बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 31 रन बनाए, जो कि इस प्रारूप में उनका सर्वाधिक स्कोर है।

राजू 1990-91 में एशिया कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे और 1992 तथा 1996 के वनडे विश्व कप में भी खेले।

हालांकि राष्ट्रीय टीम में ज्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन उन्होंने आंध्र प्रदेश की तरफ से घरेलू क्रिकेट में लगातार खेला। 177 प्रथम श्रेणी मैचों में 589 और 124 लिस्ट ए मैचों में 152 विकेट उनके नाम हैं। 2004 में उन्होंने अपना अंतिम घरेलू मैच उत्तर प्रदेश के खिलाफ खेला।

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद राजू ने कोचिंग और क्रिकेट प्रशासन में सक्रियता दिखाई। वह 2007-2008 में दक्षिण क्षेत्र से भारतीय क्रिकेट टीम की चयन समिति के सदस्य रहे और हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रज्ञान ओझा ने कहा था कि वेंकटपति राजू ने उन्हें क्रिकेटर बनने के लिए प्रेरित किया।

Point of View

वेंकटपति राजू ने भारतीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है, भले ही उनका करियर छोटा रहा हो। उनकी उपलब्धियाँ और संघर्ष सभी क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

वेंकटपति राजू का जन्म कब हुआ?
वेंकटपति राजू का जन्म 9 जुलाई 1969 को हुआ था।
राजू ने अपने करियर में कितने विकेट लिए?
उन्होंने 28 टेस्ट में 93 और 53 वनडे में 63 विकेट लिए।
राजू ने कब अपना अंतिम मैच खेला?
राजू ने अपना अंतिम वनडे 1996 में और अंतिम टेस्ट 2001 में खेला।