क्या पिता इस्लामिक स्कॉलर बनाना चाहते थे, यूसुफ पठान ने क्रिकेट को क्यों चुना?
सारांश
Key Takeaways
- यूसुफ पठान का क्रिकेट करियर प्रेरणादायक रहा।
- उनके पिता ने उन्हें इस्लामिक शिक्षा के लिए प्रेरित किया।
- यूसुफ ने कठिन परिश्रम कर भारतीय क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई।
- यूसुफ का आईपीएल करियर और घरेलू क्रिकेट में रिकॉर्ड शानदार रहे।
- वर्तमान में वह राजनीति में सक्रिय हैं।
नई दिल्ली, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय क्रिकेट में यूसुफ पठान और इरफान पठान की जोड़ी अत्यंत प्रसिद्ध है। इन दोनों भाइयों ने भारतीय टीम को अनेक मैच अकेले दम तो कभी एक साथ जिताए हैं। यूसुफ दाएं हाथ के स्पिनर और बाएं हाथ के विस्फोटक बल्लेबाज रहे हैं, जबकि इरफान बाएं हाथ के तेज गेंदबाज और बाएं हाथ से ही बल्लेबाजी करते थे। यूसुफ को हमेशा अपनी बल्लेबाजी के लिए तो इरफान को गेंदबाजी के लिए जाना गया। यूसुफ का नाम भारतीय क्रिकेट के सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में गिना जाता है।
यूसुफ पठान का जन्म 17 नवंबर 1982 को वडोदरा में हुआ था। yूसुफ के पिता, महमूद खान पठान, मस्जिद में मुअज्जिन का कार्य करते थे। मुअज्जिन का कार्य पांच वक्त की नमाज के लिए नमाजियों को मस्जिद में बुलाना होता है। महमूद खान चाहते थे कि यूसुफ उच्च इस्लामिक शिक्षा प्राप्त करें और एक इस्लामिक स्कॉलर बनें। इसके लिए यूसुफ को प्रोत्साहित किया गया। लेकिन, जब यह निर्णय करने का वक्त आया कि भविष्य में क्या करना है, यूसुफ पठान ने क्रिकेट को चुना। उनका सपना भारत के लिए खेलना था, और इसके लिए उन्होंने कठिन परिश्रम करने का रास्ता चुना जिसने उन्हें बड़ी सफलता भी दिलाई।
यूसुफ पठान ने 2001-2002 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया। उनका संघर्ष लंबा रहा। उनसे पहले उनके छोटे भाई ने भारतीय टीम के लिए डेब्यू कर लिया। 2007 में देवधर ट्रॉफी में यूसुफ का प्रदर्शन शानदार रहा, जिसके कारण उन्हें सीधे टी20 विश्व कप 2007 के लिए चुना गया। भारत-पाकिस्तान के बीच खेला गया फाइनल उनका डेब्यू मैच था। 2008 में ही पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने वनडे में भी डेब्यू किया। टेस्ट क्रिकेट में वह भारत के लिए खेल नहीं सके।
यूसुफ पठान का अंतरराष्ट्रीय करियर ज्यादा लंबा नहीं रहा। 2007 से 2012 के बीच उन्होंने भारत के लिए 57 वनडे और 22 टी20 मैच खेले। वनडे में 2 शतक और 3 अर्धशतक लगाते हुए 810 रन बनाए और 33 विकेट लिए। वहीं टी20 की 18 पारियों में 236 रन बनाने के साथ ही 12 विकेट लिए।
पठान का घरेलू और आईपीएल करियर बेहद सफल रहा, और इन्हीं दो मंचों पर खेलते हुए उनकी पहचान एक विस्फोटक बल्लेबाज के रूप में बनी।
2008 से 2019 के बीच 174 मैचों में 1 शतक और 13 अर्धशतक लगाते हुए 142.97 की स्ट्राइक रेट से उन्होंने 3,204 रन बनाए। साथ ही 42 विकेट लिए। पठान ने 2008 में राजस्थान रॉयल्स को चैंपियन बनाया था। फाइनल में वह प्लेयर ऑफ द मैच रहे थे। 2010 में आरआर के लिए खेलते हुए मुंबई इंडियंस के खिलाफ उन्होंने 37 गेंद पर शतक लगाया था। यह तब आईपीएल का सबसे तेज था, बाद में इस रिकॉर्ड को क्रिस गेल ने तोड़ा। पठान ने आईपीएल में 16 बार प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब जीता है। वह 2008 में आरआर के साथ तो 2012 और 2014 में केकेआर के साथ खिताब जीत चुके हैं। आरआर और केकेआर के अलावा पठान एसआरएच के लिए भी खेल चुके हैं।
भारत के घरेलू क्रिकेट में लिस्ट में सबसे तेज शतक का नाम पठान के नाम था। 2010 में वडोदरा के लिए खेलते हुए उन्होंने 40 गेंद पर शतक लगाते हुए 42 गेंद पर 108 रन की पारी खेली थी। बाद में अनमोलप्रीत सिंह ने 35 गेंद पर शतक लगाते हुए ये रिकॉर्ड तोड़ा। वडोदरा के लिए प्रथम श्रेणी के 100 मैचों में 4,825 रन और 201 विकेट, 199 लिस्ट ए मैचों में 4,797 रन और 124 विकेट यूसुफ के नाम है।
यूसुफ पठान ने 2021 में क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। बेहद कम बोलने वाले पठान अब राजनीति में सक्रिय हैं और पश्चिम बंगाल की बहरामपुर सीट से सांसद हैं। यदि पठान ने अपने पिता की बात मान ली होती, तो शायद भारतीय क्रिकेट उनके जैसे एक बेहतरीन क्रिकेटर को खो देता।