क्या 107वें रेगुलर कोर्स ने आईएमए में सिल्वर जुबली मनाई और शहीद साथियों को श्रद्धांजलि दी?
सारांश
Key Takeaways
- 107वें रेगुलर कोर्स की सिल्वर जुबली एक भावुक समारोह था।
- कार्यक्रम में शहीदों को विशेष श्रद्धांजलि दी गई।
- इस कोर्स के अधिकारियों ने 25 वर्ष की सेवा पूरी की।
- अधिकारियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में अद्वितीय सेवाएं दी हैं।
- सैन्य भाईचारे का अटूट बंधन इस समारोह में स्पष्ट दिखाई दिया।
देहरादून, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देहरादून में स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) के 107वें रेगुलर कोर्स ने शनिवार को अपनी सिल्वर जुबली को एक भावुक और गौरवपूर्ण माहौल में मनाया। इस कोर्स के अधिकारी अपने परिवारों के साथ फिर से उसी अकादमी में पहुंचे, जहां से उनका सैन्य सफर शुरू हुआ था। यही वह स्थल है, जिसने उन्हें एक युवा कैडेट से एक जिम्मेदार सैनिक और लीडर बनाया।
107वें रेगुलर कोर्स में कुल 416 जेंटलमैन कैडेट शामिल थे, जिन्हें 24 जून 2000 को भारतीय सेना में कमीशन दिया गया था। अब 25 वर्ष255 अधिकारी आईएमए लौटे। अकादमी के परिसर में कदम रखते ही पुराने दिन, प्रशिक्षण के कठिन पल, दोस्ती, अनुशासन और यादगार लम्हें सब फिर से ताजा हो गए। हर चेहरे पर गर्व, अपनापन और सम्मान साफ झलक रहा था।
पिछले ढाई दशकों में इस कोर्स के अधिकारियों ने देश के विभिन्न हिस्सों और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अद्वितीय सेवाएं दी हैं। चाहे पहाड़ हो, रेगिस्तान या दुर्गम सीमाएं, हर जगह उन्होंने अपनी प्रोफेशनल काबिलियत और नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया है। इस कोर्स से 47 अधिकारी वीरता पुरस्कार और 176 अधिकारी विशिष्ट सेवा पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
हालांकि, इस गौरवशाली सफर में बलिदान की कीमत भी चुकानी पड़ी। सेवा के दौरान इस कोर्स के 10 वीर अधिकारियों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। सिल्वर जुबली समारोह के दौरान उन शहीद साथियों को विशेष श्रद्धांजलि दी गई। उनके परिजनों को सम्मानित किया गया, जिससे सैन्य भाईचारे का अटूट बंधन फिर से मजबूत हुआ। इस कार्यक्रम में शहीदों के दो परिजन भी मौजूद रहे, जिससे माहौल और भी भावुक हो गया।
यह सिल्वर जुबली समारोह केवल एक जश्न नहीं था, बल्कि आईएमए में सिखाए गए सम्मान, साहस और बलिदान के मूल्यों की याद दिलाने वाला एक महत्वपूर्ण पल था। 107वें रेगुलर कोर्स के अधिकारियों ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि देश की सेवा उनके लिए केवल एक पेशा नहीं, बल्कि जीवन का संकल्प है।