क्या 1969 का 'एलओ' संदेश था इंटरनेट की ओर बढ़ा पहला कदम, जिसने दुनिया बदल दी?

Click to start listening
क्या 1969 का 'एलओ' संदेश था इंटरनेट की ओर बढ़ा पहला कदम, जिसने दुनिया बदल दी?

सारांश

इस लेख में जानें कि कैसे 1969 में भेजा गया 'एलओ' संदेश इंटरनेट के विकास का पहला कदम था। यह एक छोटा सा प्रयोग आज के डिजिटल युग की नींव बना। जानें इस तकनीक के महत्व और भविष्य के लिए इसके प्रभाव को।

Key Takeaways

  • 1969
  • इंटरनेट ने पूरी दुनिया को जोड़ने का काम किया।
  • इंटरनेट केवल तकनीक नहीं, बल्कि मानवता का एक साझा मंच है।
  • 5जी, क्लाउड कंप्यूटिंग आदि तकनीकें इंटरनेट की गति को बढ़ा रही हैं।
  • साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी महत्वपूर्ण हैं।

नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। 29 अक्टूबर को पूरी दुनिया में ‘इंटरनेशनल इंटरनेट डे’ के रूप में मनाया जाता है। यह वही तारीख है, जब 1969 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक कंप्यूटर से स्टैनफोर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट के कंप्यूटर को पहला संदेश भेजा गया था। उस समय दो शब्द ‘एलओजीआईएन’ यानी ‘लॉगइन’ टाइप किए गए, लेकिन नेटवर्क केवल ‘एलओ’ तक ही संदेश पहुंचा सका। यहीं से इतिहास का आरंभ हुआ। यही ‘लो’ था, जिसने पूरी दुनिया को एक सूत्र में बांध दिया।

जिस इंटरनेट के जरिए हम आज वीडियो कॉल करते हैं, ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं और सोशल मीडिया पर अपने जीवन के हर पल साझा करते हैं, वह इसी छोटे से प्रयोग का परिणाम है। उस समय इसे ‘एआरपीएएनईटी’ कहा गया था— यह एक नेटवर्क प्रणाली थी जिसे अमेरिका की रक्षा अनुसंधान एजेंसी ने विकसित किया था। इसका उद्देश्य विभिन्न कंप्यूटरों को जोड़कर सूचनाओं का आदान-प्रदान करना था। किसी ने नहीं सोचा था कि यही नेटवर्क दशकों बाद पूरी दुनिया को ‘डिजिटल ग्लोब’ में बदल देगा।

इंटरनेट डे हमें याद दिलाता है कि यह तकनीक न केवल एक साधन है, बल्कि मानव सहयोग और जिज्ञासा का प्रतीक है। यह एक ऐसा मंच है जिसने सीमाओं को मिटा दिया है और विचार, कला, विज्ञान और संवाद को एक सूत्र में बांध दिया है।

आज इंटरनेट हर पल बदल रहा है। 5जी, एआई, क्लाउड कंप्यूटिंग और क्वांटम इंटरनेट जैसी तकनीकें इसकी गति को और तेज बना रही हैं। लेकिन इस तेजी के साथ जिम्मेदारियाँ भी बढ़ी हैं। साइबर सुरक्षा, डेटा प्राइवेसी और डिजिटल नैतिकता अब इंटरनेट के उतने ही महत्वपूर्ण पहलू हैं जितना इसकी गति और पहुंच।

इंटरनेट केवल एक तकनीक नहीं है, बल्कि “साझा सोच की ताकत” है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के अनुसार, भारत में 1,002.85 मिलियन इंटरनेट सब्सक्राइबर हैं, और पूरे विश्व में 5 अरब से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े हैं, यानी यह मानव इतिहास का सबसे बड़ा सामाजिक नेटवर्क बन गया है!

Point of View

यह कहना उचित होगा कि इंटरनेट ने हमारी दुनिया को बदलकर रख दिया है। यह न केवल एक तकनीकी साधन है, बल्कि यह मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण मंच भी है। हमें इसकी शक्ति और जिम्मेदारियों को समझते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
NationPress
28/10/2025

Frequently Asked Questions

इंटरनेट डे क्यों मनाया जाता है?
इंटरनेट डे हर साल 29 अक्टूबर को मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1969 में पहला संदेश भेजा गया था।
‘एआरपीएएनईटी’ क्या है?
यह एक प्राचीन नेटवर्क प्रणाली थी जिसे अमेरिका की रक्षा अनुसंधान एजेंसी ने विकसित किया था।
इंटरनेट के विकास में क्या भूमिका है?
इंटरनेट ने दुनिया को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया है और यह मानव सहयोग का प्रतीक है।