क्या 2025 में पंजाब के मैदान से पहाड़ों तक कुदरत ने छोड़े गहरे जख्म?

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क्या 2025 में पंजाब के मैदान से पहाड़ों तक कुदरत ने छोड़े गहरे जख्म?

सारांश

साल 2025 ने भारत को प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण बना दिया है। उत्तराखंड से लेकर हिमाचल, पंजाब और जम्मू-कश्मीर तक कई क्षेत्रों में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं हुईं। जान-माल का भारी नुकसान हुआ, जिसने लाखों लोगों की जिंदगी प्रभावित की। जानें इस विषय में विस्तार से।

Key Takeaways

  • 2025 में प्राकृतिक आपदाओं का व्यापक असर हुआ।
  • उत्तराखंड, हिमाचल, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में विशेष रूप से तबाही मची।
  • लाखों लोगों की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हुई।
  • सरकार राहत कार्य में जुटी है।
  • जलवायु परिवर्तन संकट को गंभीरता से लेना होगा।

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2025 भारत के लिए प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से अत्यंत भयावह सिद्ध हुआ है। उत्तराखंड की पहाड़ियों से लेकर हिमाचल की वादियों, पंजाब के मैदानी इलाकों और जम्मू-कश्मीर तक, देश के कई हिस्सों में आपदा का सामना करना पड़ा। कहीं बादल फटे, कहीं अचानक आई बाढ़ ने सब कुछ बहा दिया, तो कहीं भूस्खलन और पहाड़ धंसने से जिंदगियां मलबे में दब गईं। हजारों घर तबाह हुए और अरबों रुपए का नुकसान हुआ।

धराली, चमोली और देहरादून समेत उत्तराखंड के कई जिलों में इस वर्ष कई आपदाएं आईं। 5 अगस्त को उत्तरकाशी जिले के धराली और हरसिल गांवों में मलबा भर गया। अचानक आई इस बाढ़ में घर, इमारतें, पुल, सड़कें बह गईं और कई जानें चली गईं। 18 सितंबर को उत्तराखंड के चमोली में मूसलाधार बारिश के कारण बादल फटने से कम से कम पांच लोग लापता हो गए। बारिश के कारण नंदा नगर में भारी मलबा आया था, जिससे छह इमारतें मलबे में दब चुकी थीं।

इसके अलावा, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी बादल फटने के कारण तबाही मची। इन घटनाओं में कम से कम 10 लोगों की जान गई थी।

हिमाचल प्रदेश में इस बार भारी तबाही मची। मानसून के दौरान प्रदेश में 47 बादल फटने, 98 अचानक बाढ़ आने और 148 बड़े भूस्खलन की घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं के कारण 270 लोगों की जान चली गई।

26 जून को धर्मशाला और कुल्लू में, 30 जून और 1 जुलाई को मंडी जिले के अलग-अलग हिस्सों में प्राकृतिक आपदाओं ने बड़े पैमाने पर नुकसान किया। कुल मिलाकर 1817 घर पूरी तरह से डैमेज हुए और 8323 घर थोड़े डैमेज हुए। मानसून के दौरान कुल 5426 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

इस वर्ष पंजाब ने भी प्राकृतिक आपदा का सामना किया। सितंबर महीने में पंजाब में बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। सभी 23 जिले बाढ़ प्रभावित घोषित हुए। वर्षा से प्रभावित गांवों की संख्या दो हजार के करीब थी और साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों पर इसका असर पड़ा। बारिश और बाढ़ की मार में पंजाब में लगभग 46 लोगों की मौत हुई।

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़, कठुआ, रियासी और रामबन जिलों में बादल फटने, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ ने इस बार तबाही मचाई। किश्तवाड़ जिले के चुशोती गांव में 14 अगस्त को प्राकृतिक आपदा ने भारी नुकसान पहुंचाया। इन घटनाओं में पूरे केंद्र शासित राज्य में 100 से अधिक लोगों की जान गई।

अक्टूबर में ओडिशा के गजपति जिले में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से दो लोगों की मौत हुई। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अनुसार, बस्तीगुड़ा ग्राम पंचायत के त्रिनाथ नायक और मेरीपल्ली ग्राम पंचायत के लक्ष्मण नायक की मौत हो गई।

नवंबर में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में पहाड़ी धंसने के कारण हादसा हुआ, जिसमें कम से कम दो लोगों की मौत हुई। सोनभद्र जिले के ओबरा थाना क्षेत्र में यह घटना हुई। बिल्ली मारकुंडी खनन के रासपहाड़ी स्थित कृष्णा माइनिंग वर्क्स के खदान में पहाड़ी के दरकने से पत्थर के नीचे कुछ लोग दब गए थे।

Point of View

यह देखना अत्यंत दुःखद है कि प्राकृतिक आपदाएं हमारे देश को किस प्रकार प्रभावित कर रही हैं। हमें इस स्थिति का सामना करने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
NationPress
27/12/2025

Frequently Asked Questions

2025 में भारत में कितनी प्राकृतिक आपदाएं आईं?
इस वर्ष भारत में कई प्राकृतिक आपदाएं आईं, जिनमें उत्तराखंड, हिमाचल, पंजाब और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।
इन प्राकृतिक आपदाओं से कितना नुकसान हुआ?
इन आपदाओं के कारण लाखों घर तबाह हुए और अरबों रुपये का नुकसान हुआ।
क्या सरकार ने मदद की है?
सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत कार्य और मदद की घोषणाएं की हैं।
बाढ़ के कारण कितनी जानें गईं?
बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में सैकड़ों लोगों की जान गई।
क्या आगे भी ऐसे प्रकोप हो सकते हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसे प्रकोप आने की आशंका बनी रहती है।
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