क्या अभय कुजूर ने जेपीएससी में दूसरा स्थान हासिल किया? बोले- सफलता मेहनत और दृढ़ संकल्प का परिणाम

सारांश
Key Takeaways
- अभय कुजूर की कहानी मेहनत और परिवार के समर्थन की मिसाल है।
- सफलता के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक है।
- स्थानीय इतिहास और संस्कृति का ज्ञान महत्वपूर्ण है।
- प्रेरणा और मार्गदर्शन से सफलता की राह आसान होती है।
- कठिनाइयों का सामना करने से ही सफलता मिलती है।
रांची, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा- 2023 में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले अभय कुजूर ने अपनी मेहनत, संकल्प और परिवार के समर्थन के माध्यम से एक प्रेरणादायक कहानी बनाई है।
खूंटी जिले के निवासी अभय ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए अपने दूसरे प्रयास में इस प्रतिष्ठित परीक्षा में अद्भुत सफलता प्राप्त की। उनकी कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने की कोशिश कर रहे हैं।
अभय ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और दो बड़ी बहनों को दिया, जिन्होंने उनके पिता के 2019 में शहीद होने के बाद परिवार को संभाला और उन्हें निरंतर प्रोत्साहित किया। अभय ने कहा कि उनके पिता अविनाश कुजूर की शहादत ने उन्हें समाज सेवा के प्रति प्रेरित किया। मेरे परिवार ने मुझे हमेशा प्रेरित किया कि मैं अपने लक्ष्य पर ध्यान दूं और निराशा को हावी न होने दूं। मेरी मां और बहनों ने हर कदम पर मेरा समर्थन किया।
अभय ने अपनी तैयारी की शुरुआत 2019 में की, जब वे अपनी एमएससी (जियोलॉजी) पूरी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शुरुआत में वे सीजीएल परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, लेकिन बाद में जेपीएससी पर ध्यान केंद्रित किया। मैं पुस्तकालय में भी पढ़ाई करता था, जहां मेरी मुलाकात कई अनुभवी उम्मीदवारों से हुई। जेपीएससी प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद मैंने पाठ्यक्रम देखा और खोरठा और हिंदी के बीच समानताएं पाई, जिससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। वरिष्ठों के मार्गदर्शन और अध्ययन सामग्री की आसान उपलब्धता ने भी खोरठा चुनने के मेरे फैसले को प्रभावित किया। मैंने प्रशासनिक सेवा इसलिए चुना क्योंकि मेरा हमेशा से झुकाव प्रशासन की तरफ रहा है। मैं पुलिस सेवा का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन मेरे स्वभाव और कार्यशैली को देखते हुए मेरे शिक्षकों और दोस्तों ने सुझाव दिया कि मैं प्रशासनिक सेवा के लिए अधिक उपयुक्त हूं।
उन्होंने कहा कि मैंने सिलेबस के हर टॉपिक पर नोट्स बनाए और झारखंड से संबंधित सभी पहलुओं को गहराई से पढ़ा, क्योंकि राज्य में सेवा करने के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल और संस्कृति का ज्ञान आवश्यक है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे परिवार में कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं है, लेकिन जहां मैं रहता हूं, वहां आसपास अधिकारी रहते हैं, जिन्हें मैंने नजदीक से देखा है। जब भी मैं उनसे मिलता था तो उनके काम करने का तरीका हमेशा प्रभावित करता था। पढ़ाई के दौरान मुलाकात एक अधिकारी से हुई थी, जिन्होंने प्रेरणा दी कि हमें प्रशासनिक सेवा में आना चाहिए। उन्होंने मुझे बताया कि प्रशासनिक सेवा में मेरा कार्यक्षेत्र व्यापक होगा और मैं समाज के लिए अधिक योगदान दे सकूंगा। यह मेरे लिए एक टर्निंग पॉइंट था।
अभय का पहला जेपीएससी प्रयास 2021 में असफल रहा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि मेरे परिवार ने मुझे प्रोत्साहित किया कि मेरा लक्ष्य सही है और मुझे मेहनत जारी रखनी चाहिए। मैंने विवादों और नकारात्मक खबरों पर ध्यान नहीं दिया और केवल अपनी तैयारी पर ध्यान केंद्रित किया।