क्या महाराष्ट्र निकाय चुनाव की घोषणा पर अबू आजमी ने भाजपा के इशारों पर आयोग को काम करते हुए आरोप लगाया?
सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए गए हैं।
- अबू आजमी ने मतदाता सूची की सहीता की मांग की है।
- समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच राजनीतिक मतभेद हैं।
- आतंकवाद के नाम पर मुस्लिमों के खिलाफ कार्रवाई की आलोचना की गई है।
- बिहार में सांप्रदायिकता के खिलाफ एकता का आह्वान किया गया है।
मुंबई, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में 246 नगर पालिका परिषदों और 42 नगर पंचायतों में 2 दिसंबर को मतदान होगा। समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा है कि आयोग केंद्र सरकार के साथ मिल गया है और उसी के अनुसार अब कार्य कर रहा है।
अबू आजमी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, “पूरे देश में एक हाहाकार मचा हुआ है कि चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर काम कर रहा है। राहुल गांधी ने तो यह भी बताया कि एक ही घर में जहाँ दो लोग रहते हैं, 80 लोगों का नाम मतदाता सूची में दर्ज है। बहुत सारी चीजें उजागर की गई हैं। महाराष्ट्र में ऐसे-ऐसे नेता हारे हैं जिनका हारना नामुमकिन था।”
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में पूरी कांग्रेस खत्म हो गई। इस देश के सेक्युलरिज्म के लिए और देश के संविधान के अनुसार सही लोग वोट दें, लेकिन बहुत ज्यादा धांधली हो रही है। उन्होंने सवाल किया कि अब चुनाव की घोषणा हो गई है, क्या वोटर लिस्ट पूरी सही हो गई? उन्होंने मांग की कि पूरी लिस्ट सही करने के बाद ही चुनाव कराए जाने चाहिए।
बिहार में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के "बंटोगे तो कटोगे" नारे पर अबू आजमी ने कहा, "हम भी कहते हैं बंटो मत, कटो मत, सब एक साथ रहो। एक साथ रहकर सांप्रदायिकता को कुचल दो। जो लोग इस देश को बांटना चाहते हैं, जो लोग गांधी जी के उसूलों को, जो लोग डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के उसूलों के खिलाफ हैं, जो लोग डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान के खिलाफ हैं, उनके खिलाफ सब लोग एकजुट हो जाओ।”
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी ने कहा, "पुणे, मालेगांव, औरंगाबाद जैसे इलाकों से 20-25 सोशल वर्कर आए थे। उनका कहना है कि आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है। अगर कोई आतंकी है तो उसे फांसी दो, लेकिन देश में ऐसा नहीं हो रहा है।
ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा या पुरोहित पांडेय पकड़े जाएंगे तो सरकारी वकील से कहा जाएगा कि नरमी बरतो। जब कोर्ट में केस चलता है तो एटीएस से केस एनआईए ले लेती है, फिर 40-40 गवाह मुकर जाते हैं। 6 गवाह, जिन्होंने मजिस्ट्रेट के सामने गवाही दी थी, वे मुकर जाते हैं। उसके बाद वे छूट जाते हैं, लेकिन फिर अपील नहीं होती। रेलवे ब्लास्ट में 19 साल तक 12 नौजवान बेकसूर जेल में पड़े रहते हैं और हाईकोर्ट छोड़े देता है, तो उसी दिन रात को बात करके दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में उनकी अपील डाल दी जाती है। देश में इंसाफ कहां है?