क्या एबीवीपी ने बालासोर मामले में तत्काल कार्रवाई और न्यायिक जांच की मांग की?

सारांश
Key Takeaways
- एबीवीपी ने मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
- पीड़िता के आरोप गंभीर हैं और जांच की आवश्यकता है।
- कॉलेज की आईसीसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं।
- समाज में इस मामले के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
- न्याय और सुरक्षा के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए।
भुवनेश्वर, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बालासोर के एफएम कॉलेज की एक छात्रा के आत्मदाह की कोशिश पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की राज्य सचिव दीप्तिमयी प्रतिहारी ने आरोपियों की तात्कालिक गिरफ्तारी एवं उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक जांच की मांग की।
उन्होंने पीड़िता द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के स्पष्ट आरोपों के बावजूद मामले में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता पर सवाल उठाए।
प्रतिहारी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि छात्रा एबीवीपी से जुड़ी थी और उसने अपनी लिखित शिकायत में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि संकाय सदस्य डॉ. समीर कुमार साहू ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की थी। जब उसने प्रस्ताव को अस्वीकार किया, तो उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, कक्षा में अपमानित किया गया और शैक्षणिक परिणामों को लेकर धमकी दी गई।
उन्होंने आगे कहा कि पीड़िता ने यह भी कहा था कि उसे लंबे समय तक कक्षा के बाहर खड़ा रखा गया और कहा गया कि उसे अपनी सेमेस्टर परीक्षाओं में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। ये गंभीर आरोप हैं और महीनों पहले शिकायत दर्ज कराने के बाद भी पुलिस या कॉलेज प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।
प्रतिहारी ने आरोप लगाया कि कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) ने जिम्मेदारी से काम नहीं किया। आईसीसी को महीनों लग गए और फिर भी यह निष्कर्ष नहीं निकल सका कि यह यौन और मानसिक उत्पीड़न का मामला था। हम निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए ओडिशा के सभी परिसरों में प्रत्येक आईसीसी में एक कानूनी प्रतिनिधि और समाज के एक प्रतिष्ठित सदस्य को शामिल करने की मांग करते हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि कॉलेज प्रिंसिपल को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। अगर आईसीसी की रिपोर्ट में खामियां हैं या समझौता किया गया है तो समिति के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। एनएसयूआई और बीजद के कुछ छात्र नेता सोशल मीडिया पर लड़की के चरित्र हनन में शामिल थे। उन्होंने इस त्रासदी को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। एबीवीपी उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करती है, जिन्होंने पीड़िता को बदनाम करने की कोशिश की और आरोपियों को सार्वजनिक समर्थन दिया।
पुलिस कार्रवाई में देरी की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि क्या हम कार्रवाई करने से पहले किसी लड़की के मरने का इंतजार करते हैं? यह हमारी कानून प्रवर्तन प्रणाली की विफलता को दर्शाता है।