क्या अहमदाबाद विमान हादसे में जान गंवाने वाले यात्रियों को न्याय मिलेगा?: एनसीपी (एसपी) प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो

सारांश
Key Takeaways
- अहमदाबाद विमान हादसे में दोनों इंजन बंद हो गए थे।
- जांच रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं।
- राजनीतिक नेताओं ने न्याय की मांग की है।
- सरकार की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण है।
- पीड़ित परिवारों के लिए सहायता जरूरी है।
मुंबई, १२ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के अहमदाबाद विमान हादसे की जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें विमान के दोनों इंजन बंद होने की जानकारी सामने आई है। इसके बाद इस मुद्दे पर राजनीतिक चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि एयर इंडिया के बोइंग ७८७-८ विमान के इंजन के फ्यूल कंट्रोल स्विच टेकऑफ के तीन सेकंड बाद 'रन' से 'कट ऑफ' की स्थिति में चले गए, जिसके कारण विमान उड़ान भरने के ३४ सेकंड बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुई एयर इंडिया के विमान की आज रिपोर्ट जारी की गई है। जांच के बाद जो भी निष्कर्ष सामने आएगा, उस पर गहनता से चर्चा होनी चाहिए। हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को न्याय मिलना चाहिए। सरकार का यह कर्तव्य है कि लोगों को न्याय मिले।"
शिवसेना (यूबीटी) के नेता अयोध्या पॉल ने अहमदाबाद विमान हादसे की रिपोर्ट पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, "न्यूज़ चैनल के माध्यम से जो रिपोर्ट सामने आई है, वह दिशाभ्रमित करने वाली है। जिन पायलटों को कई वर्षों का अनुभव है, क्या वे इंजन को पेट्रोल सप्लाई करने वाले स्विच को नहीं देख पाए? मुझे इसमें कुछ गड़बड़ लगती है; शायद कुछ चीजों को छिपाने की कोशिश हो रही है। जो पायलट अब इस दुनिया में नहीं रहे, उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं। बिना किसी राजनीतिकरण के इस मुद्दे की हर कोण से जांच होनी चाहिए। इस हादसे में जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई, उन्हें न्याय मिलना चाहिए।"
शिवसेना (यूबीटी) के नेता अयोध्या पॉल ने छत्रपति शिवाजी महाराज के १२ किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, "मैं एक गर्वित महाराष्ट्रीयन हूं। यह पल न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का है। १२ में से ११ किले महाराष्ट्र में और १ तमिलनाडु में हैं। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि इन किलों की पवित्रता बनाए रखे, अतिक्रमण हटाए और साफ-सफाई सुनिश्चित करे। ये किले केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रहें, इनका संरक्षण पूरी तरह से होना चाहिए।"