क्या अहोई अष्टमी के दिन इस कुंड में डुबकी लगाना है सौभाग्य का संकेत?

सारांश
Key Takeaways
- अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान का विशेष महत्व है।
- संतान सुख के लिए दंपत्तियों के लिए यह कुंड महत्वपूर्ण है।
- कुंड में स्नान करने से गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है।
- राधा कुंड की मान्यताएँ भक्तों के बीच गहरी आस्था पैदा करती हैं।
- यह कुंड राधा और कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है।
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में अनेक चमत्कारी कुंड हैं, जिनकी अलग-अलग मान्यताएँ हैं। कुछ कुंडों में स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है, जबकि कुछ कुंड अखंड सौभाग्यवती बनने का आशीर्वाद देते हैं।
मथुरा में एक ऐसा चमत्कारी कुंड है, जहां अहोई अष्टमी के दिन बड़ी संख्या में भक्त स्नान करने आते हैं। इस कुंड का नाम राधा कुंड है, जो गोवर्धन के पास स्थित है।
अहोई अष्टमी के दिन, कुंड को विशेष तरीके से सजाया जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन, जो दंपत्ति कुंड में स्नान करते हैं, उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, संतान के जीवन में आने वाली बाधाओं का भी नाश होता है। इस कुंड के बारे में अनेक मान्यताएँ प्रचलित हैं। यह भी माना जाता है कि राधा कुंड में स्नान करने से गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है।
भक्त आधी रात को कुंड में स्नान करने आते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। स्नान के बाद, भक्त कुंड की परिक्रमा करते हैं और बरसाना में स्थित मंदिर जाकर राधारानी का आशीर्वाद लेते हैं।
कहा जाता है कि राधारानी के आदेश पर भगवान श्रीकृष्ण ने अरिष्टासुर दैत्य का वध किया था। राधारानी ने सभी पवित्र जलों में स्नान करने का सुझाव दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर सभी पवित्र नदियों का जल इकट्ठा किया। कहा जाता है कि कुंड का निर्माण राधारानी ने अपने कंगन से किया।
राधा कुंड में सभी पवित्र नदियों का जल एकत्रित होता है, जिससे भक्तों के बीच इसकी आस्था बढ़ी है। इसे राधा और श्याम के प्रेम का पवित्र स्थान माना जाता है। शादी के बाद नव-दंपति को कुंड में स्नान करने की सलाह दी जाती है, ताकि उनके जीवन में सदा प्यार बना रहे। यहाँ स्नान करने से राधा और कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है।