क्या अजमेर दरगाह में मंदिर के दावे पर सुनवाई टल गई?

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क्या अजमेर दरगाह में मंदिर के दावे पर सुनवाई टल गई?

सारांश

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे से जुड़े मामले की सुनवाई टल गई है। अगली तारीख 30 अगस्त तय की गई है। जानिए इस महत्वपूर्ण मामले की पूरी जानकारी।

Key Takeaways

  • सुनवाई टली: अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी।
  • सुरक्षा व्यवस्था: पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई है।
  • ऐतिहासिक दस्तावेज: गुप्ता के पास प्राचीन ग्रंथ का जिक्र है।
  • अलग-अलग पक्ष: कई पक्षकार बने हैं।
  • कानूनी प्रक्रिया: उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है।

जयपुर, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे से संबंधित मामले की सुनवाई शनिवार को टल गई। सिविल कोर्ट ने अब अगली सुनवाई के लिए 30 अगस्त की तारीख निर्धारित की है।

सुनवाई से पूर्व कोर्ट परिसर और सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन के निकट अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था। वकील योगेंद्र ओझा के अनुसार, न्यायिक अधिकारी की छुट्टी और न्यायिक कर्मचारियों की सामूहिक छुट्टी के कारण यह सुनवाई स्थगित की गई।

उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी और अल्पसंख्यक मामलों के विभाग द्वारा पहले दिए गए आवेदन को औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया गया है और अगली सुनवाई में उन पर चर्चा की जाएगी।

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दिल्ली निवासी विष्णु गुप्ता ने अदालत में याचिका दायर की है। उन्होंने अनुरोध किया है कि अजमेर दरगाह में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के परिसर में स्थित संकट मोचन शिव मंदिर में बिना किसी रुकावट के पूजा करने की अनुमति दी जाए।

अजमेर दरगाह समिति और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वकीलों ने अलग-अलग आवेदन देकर कहा कि गुप्ता ने केस दायर करने से पूर्व आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। गुप्ता का कहना है कि उनके पास 1250 ईस्वी में लिखा गया प्राचीन संस्कृत ग्रंथ 'पृथ्वीराज विजय' है, जिसमें अजमेर में शिव मंदिर के ऐतिहासिक अस्तित्व का उल्लेख है।

उन्होंने अदालत में उस पुस्तक को पेश करने की योजना बनाई है, साथ ही इसका हिंदी अनुवाद भी प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने पूजा स्थल अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि अजमेर दरगाह इस कानून के अंतर्गत नहीं आता, क्योंकि इसे कानूनी रूप से 'अधिकृत धार्मिक स्थल' के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण कुमार ने पहले इस कानून पर बहस की है और वे अदालत में सबूत प्रस्तुत करेंगे। सुरक्षा चिंताओं के चलते, एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर गुप्ता को पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई है।

अजमेर की सिविल कोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को गुप्ता की याचिका को स्वीकार किया और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, अजमेर दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी किया। इसके पश्चात, कई पक्षों जैसे अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान गुलाम दस्तगीर अजमेर, ए. इमरान (बेंगलुरु) और राज जैन (होशियारपुर, पंजाब) ने इस मामले में पक्षकार बनने के लिए आवेदन प्रस्तुत किए।

24 जनवरी तक इस मामले में दो सुनवाई हो चुकी हैं। अपनी याचिका में गुप्ता ने 1911 में प्रकाशित पुस्तक 'अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव' का उल्लेख किया, जिसे रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा ने लिखा था। इस पुस्तक में दावा किया गया है कि दरगाह के निर्माण में एक मंदिर के मलबे का उपयोग हुआ था। साथ ही, यह भी कहा गया है कि दरगाह के गर्भगृह और उसके आस-पास पहले एक जैन मंदिर था।

Point of View

यह आवश्यक है कि न्यायपालिका निष्पक्षता से विचार करे। धार्मिक स्थलों के बीच का यह विवाद न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि ऐतिहासिक तथ्यों पर भी आधारित है। इस मुद्दे को सुलझाने में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन होना चाहिए।
NationPress
19/07/2025

Frequently Asked Questions

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे का क्या महत्व है?
यह मामला धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जिससे दोनों समुदायों की भावनाएं जुड़ी हैं।
अगली सुनवाई कब होगी?
अगली सुनवाई 30 अगस्त को निर्धारित की गई है।
क्या गुप्ता के पास इस मंदिर के ऐतिहासिक प्रमाण हैं?
गुप्ता का दावा है कि उनके पास 1250 ईस्वी का लिखा हुआ प्राचीन ग्रंथ है, जिसमें इस मंदिर का जिक्र है।
सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
सुरक्षा चिंताओं के चलते, एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर गुप्ता को पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई है।
क्या इस मामले में अन्य पक्ष भी शामिल हैं?
हाँ, कई पक्ष जैसे अंजुमन कमेटी और अन्य ने इस मामले में पक्षकार बनने के लिए आवेदन दिया है।