क्या अजमेर की दरगाह पर पीएम की चादर चढ़ाने की परंपरा पर रोक लगाई जाएगी?

Click to start listening
क्या अजमेर की दरगाह पर पीएम की चादर चढ़ाने की परंपरा पर रोक लगाई जाएगी?

सारांश

अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर एक नई याचिका दायर की गई है। क्या यह परंपरा अब समाप्त होगी? जानें पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर विवाद बढ़ा है।
  • याचिका में चादर चढ़ाने पर रोक की मांग की गई है।
  • सर्वोच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है।
  • अगली सुनवाई की तिथि 3 जनवरी है।
  • केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू उर्स में भाग लेंगे।

नई दिल्ली, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अजमेर जिले में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर एक नया विवाद उत्पन्न हुआ है। विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) प्रस्तुत की है। इस याचिका में यह मांग की गई है कि अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रधानमंत्री द्वारा हर वर्ष चढ़ाई जाने वाली चादर की प्रथा पर तुरंत रोक लगाई जाए।

याचिकाकर्ता का कहना है कि यह मामला केवल परंपरा से संबंधित नहीं है, बल्कि धार्मिक स्थलों की ऐतिहासिक पहचान और संविधानिक मूल्यों से भी जुड़ा हुआ है। उनका यह भी कहना है कि जिस स्थान पर दरगाह स्थित है, वहां पहले संकट मोचन महादेव का मंदिर था। इस कारण, सरकारी या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा चादर चढ़ाना उचित नहीं है। इसी आधार पर उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

इस मुद्दे को लेकर अजमेर की सिविल अदालत में पहले से ही मामला विचाराधीन है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर उर्स के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा चादर चढ़ाने की परंपरा को चुनौती दी थी। इस याचिका पर गुरुवार को अजमेर की अदालत में सुनवाई हुई थी, जहां दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फिलहाल कोई अंतिम निर्णय नहीं सुनाया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 3 जनवरी तय की गई है।

अब विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में भी याचिका दाखिल की गई है। हालांकि, अभी तक मामले की सुनवाई के लिए कोई तारीख सामने नहीं आई है।

हर साल देश के प्रधानमंत्री और कई अन्य नेता उर्स के दौरान अजमेर की दरगाह में चादर चढ़ाते हैं। इस बीच, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू सोमवार को अजमेर पहुंचेंगे और उर्स कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस दौरान अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से चादर पेश की जाएगी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि हम धार्मिक विविधता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता का सम्मान करते हैं। इस मामले में, सभी पक्षों को सुनना और न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है।
NationPress
22/12/2025

Frequently Asked Questions

अजमेर की दरगाह पर चादर चढ़ाने की परंपरा क्या है?
यह परंपरा हर साल प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं द्वारा दरगाह में चादर चढ़ाने की होती है, जो उर्स के दौरान होती है।
याचिका में क्या मांगा गया है?
याचिका में मांग की गई है कि प्रधानमंत्री द्वारा चादर चढ़ाने की परंपरा पर तुरंत रोक लगाई जाए।
कौन हैं याचिकाकर्ता?
याचिकाकर्ता जितेंद्र सिंह हैं, जो विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख हैं।
अगली सुनवाई की तारीख कब है?
अगली सुनवाई की तारीख 3 जनवरी निर्धारित की गई है।
इस मुद्दे पर अदालत का क्या कहना है?
अदालत ने अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं सुनाया है।
Nation Press