क्या अखिलेश और आजम की मुलाकात होगी सियासी दिशा में बदलाव?

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क्या अखिलेश और आजम की मुलाकात होगी सियासी दिशा में बदलाव?

सारांश

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बुधवार को एक महत्वपूर्ण मिलन होने जा रहा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, आजम खान से मिलकर न केवल पुराने रिश्तों को फिर से मजबूत करेंगे, बल्कि पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने की दिशा में एक कदम बढ़ाएंगे।

Key Takeaways

  • अखिलेश यादव और आजम खान की मुलाकात से पार्टी में एकता का संदेश मिलेगा।
  • यह मुलाकात मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा है।
  • आजम खान की राजनीति में अहम भूमिका है।
  • राजनीतिक संवादों का यह सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है।
  • यह मुलाकात सपा के भीतर और बाहर की अटकलों का जवाब दे सकती है।

लखनऊ, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बुधवार को एक महत्वपूर्ण घटना घटित हो सकती है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आज रामपुर जा रहे हैं, जहां वे पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान से मुलाकात करेंगे।

आजम खान को सीतापुर जेल से 23 माह बाद रिहा किया गया है। इस राजनीतिक भेंट पर न केवल सपा की निगाहें टिकी हैं, बल्कि प्रदेश की अन्य पार्टियां भी इसे गंभीरता से देख रही हैं। बरेली सपा के जिला अध्यक्ष शिवचरण कश्यप ने बताया कि अखिलेश यादव बुधवार को सुबह लगभग 11 बजे अमौसी एयरपोर्ट से विमान द्वारा बरेली पहुंचेंगे। वहां से वे सड़क मार्ग से रामपुर जाएंगे।

उन्होंने स्पष्ट किया कि अखिलेश का बरेली में किसी प्रकार का कोई कार्यक्रम नहीं है। कुछ जगह अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि उनका किसी से मुलाकात का कोई कार्यक्रम नहीं है।

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, अखिलेश और आजम की यह मुलाकात लगभग एक घंटे की निजी बातचीत के रूप में होगी। दोनों नेता अकेले में चर्चा करेंगे। यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब सपा के भीतर और बाहर, आजम खान की भूमिका और भविष्य को लेकर कई अटकलें तेज हैं।

सीतापुर जेल से 23 सितंबर को रिहा हुए आजम खान ने बाहर आने के बाद मीडिया से बातचीत में अपने पुराने तेवर दिखाए। उन्होंने रामपुर के सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी का नाम लिए बिना कहा कि “मैं उन्हें जानता तक नहीं। कोई कार्यक्रम नहीं है। अखिलेश यादव मुझसे मिलेंगे और मैं केवल उन्हीं से मिलूंगा।”

उन्होंने व्यंग्य भरे लहजे में कहा, “यह उनका बड़प्पन है कि वे एक बकरी चोर-भैंस चोर से मिलने आ रहे हैं।”

उनके इस बयान में न केवल जेल के अनुभवों का दर्द दिखा, बल्कि राजनीति की तल्खी भी साफ झलक रही थी। आजम खान के बसपा में जाने की चर्चाएं पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक गलियारों में चल रही थीं। हालांकि, आजम खान ने इन अटकलों को नकारते हुए खुद को सपा का सच्चा सिपाही बताया था। अब अखिलेश यादव की यह मुलाकात इन अटकलों को विराम देने वाली मानी जा रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात सपा के मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट रखने की रणनीति का हिस्सा है। रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा जैसे पश्चिमी यूपी के इलाकों में आजम खान की मजबूत पकड़ रही है। आजम खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं और दिवंगत मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाते थे। अखिलेश यादव की यह मुलाकात न केवल पुराने रिश्तों को फिर से मजबूत करने, बल्कि पार्टी में एकता का संदेश देने का प्रयास भी है।

Point of View

यह मुलाकात न केवल सपा के लिए, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है। यह राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है और सपा के मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
NationPress
08/10/2025

Frequently Asked Questions

आजम खान की रिहाई कब हुई थी?
आजम खान की रिहाई 23 सितंबर को हुई थी।
अखिलेश यादव कब रामपुर जाएंगे?
अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को रामपुर जाएंगे।
क्या यह मुलाकात राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है?
हां, यह मुलाकात सपा के लिए और मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।