क्या अखिलेश यादव ने एसआईआर में किया हिंदू-मुस्लिम? मौलाना बरेलवी का पलटवार
सारांश
Key Takeaways
- मौलाना रजवी का अखिलेश यादव पर आरोप
- एसआईआर प्रक्रिया का महत्व
- मुसलमानों की जिम्मेदारी और भागीदारी
- राजनीतिक बयानबाजी का प्रभाव
- समुदायों के बीच जिम्मेदारी का विभाजन
बरेली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर एसआईआर प्रक्रिया को लेकर मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी के समय भी समाजवादी पार्टी के नेताओं ने मुस्लिम समुदाय में जाकर उन्हें डराया था।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा, "चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को सही करने के लिए एसआईआर प्रक्रिया का खाका जारी किया। इसमें सरकार के हजारों कर्मचारियों ने काम किया और इसे अंजाम तक पहुंचाया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव कहते हैं कि इसमें हिंदू मुस्लिम किया जा रहा है और वोट को काटा जा रहा है। जबकि चुनाव आयोग का मकसद वोटर लिस्ट को सही करना है। लेकिन अखिलेश यादव ने इसमें भी हिंदू-मुस्लिम का एंगल ढूंढ लिया।"
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने अखिलेश यादव के एसआईआर में मुस्लिम वोट काटने के आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव मुसलमानों को गुमराह और भयभीत कर रहे हैं। हकीकत यह है कि एसआईआर में मुसलमानों ने जिम्मेदारी का सबूत दिया।
उन्होंने कहा कि मैं जमीनी हकीकत बता रहा हूं कि मुसलमानों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई और बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सारे फॉर्म दुरुस्त कराए। मौलाना रजवी ने यह भी कहा कि अरब देशों में लाखों भारतीय मुसलमान काम करते हैं। एसआईआर में उन्होंने भी अपनी जिम्मेदारी का सबूत दिया है और अपने परिवार के जरिए फॉर्म जमा कराए। मेरा मानना है कि भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि मुसलमानों ने अपनी भूमिका निभाई।
शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने दावा किया कि एसआईआर में हिंदुओं ने कोताही व सुस्ती बरती, जिसकी वजह से उनके वोट कम बन सके हैं और मुसलमानों के वोट ज्यादा बने। उन्होंने कहा, "मुसलमानों ने जिम्मेदारी निभाई और हिंदू भाइयों ने जिम्मेदारी नहीं निभाई। वे सुस्ती और काहिली में पड़े रहे।"