क्या सपा, कांग्रेस और कम्युनिस्ट के ये राजनेता भारतीय राजनीति में अपना योगदान छोड़ेंगे?

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क्या सपा, कांग्रेस और कम्युनिस्ट के ये राजनेता भारतीय राजनीति में अपना योगदान छोड़ेंगे?

सारांश

1 अगस्त को अमर सिंह, भीष्म नारायण सिंह और हरकिशन सिंह सुरजीत की पुण्यतिथि है। आइए जानें इन नेताओं की राजनीति में क्या महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनकी कहानी से हम क्या सीख सकते हैं?

Key Takeaways

  • अमर सिंह ने सपा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • भीष्म नारायण सिंह ने कई मंत्रालयों का कार्यभार संभाला।
  • हरकिशन सिंह सुरजीत ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को आगे बढ़ाया।
  • इन नेताओं की पुण्यतिथि पर हम उनके योगदान को याद करते हैं।
  • राजनीति में उनकी नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं।

नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत के प्रमुख राजनेताओं में से एक, अमर सिंह, भीष्म नारायण सिंह, और हरकिशन सिंह सुरजीत की 1 अगस्त को पुण्यतिथि है। इन तीनों ने देश की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आइए जानते हैं कि अमर सिंह, भीष्म नारायण सिंह, और हरकिशन सिंह सुरजीत का राजनीतिक सफर कैसा रहा।

उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली नेता अमर सिंह को समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव का करीबी सहयोगी माना जाता था। उनका निधन 1 अगस्त 2020 को हुआ। अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 को अलीगढ़ में हुआ। उन्होंने बीए और एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। उन्हें जया प्रदा और संजय दत्त को सपा में लाने का श्रेय जाता है।

अमर सिंह ने नवंबर 1996 में सपा के समर्थन से पहली बार राज्यसभा में प्रवेश किया और 2002 और 2008 में भी इसमें सक्रिय रहे। जनवरी 2010 में उन्होंने सपा के सभी पदों से इस्तीफा दिया और 2011 में अपनी पार्टी, राष्ट्रीय लोक मंच, की स्थापना की। 2014 में राष्ट्रीय लोकदल से जुड़े, लेकिन 2016 में फिर से सपा में लौट आए।

भीष्म नारायण सिंह, कांग्रेस के एक प्रमुख नेता, का निधन 1 अगस्त 2018 को हुआ। उनका राजनीतिक सफर संयुक्त बिहार से शुरू हुआ। उन्होंने 1967 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर कांग्रेस में कैबिनेट मंत्री का पद संभाला। 1972 में भी उन्होंने जीत हासिल की और मंत्री बने। 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बने।

साल 1984 में उन्हें असम और मेघालय के राज्यपाल का पद दिया गया। भीष्म नारायण सिंह एक समय में सात राज्यों के राज्यपाल रहे, जो एक रिकॉर्ड है। उन्हें 2005 में रूस द्वारा ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप से सम्मानित किया गया था।

कम्युनिस्ट नेता हरकिशन सिंह सुरजीत का निधन 1 अगस्त 2008 को हुआ। वह पंजाब के एक प्रमुख भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे। 1992 से 2005 तक उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव के रूप में सेवा की।

Point of View

NationPress
01/08/2025

Frequently Asked Questions

अमर सिंह के राजनीतिक सफर की शुरुआत कब हुई?
अमर सिंह ने नवंबर 1996 में सपा के समर्थन से पहली बार राज्यसभा में प्रवेश किया।
भीष्म नारायण सिंह का योगदान क्या था?
भीष्म नारायण सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर 1967 में विधानसभा चुनाव जीतकर मंत्री बने थे।
हरकिशन सिंह सुरजीत ने कब से कब तक पार्टी की सेवा की?
हरकिशन सिंह सुरजीत ने 1992 से 2005 तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव के रूप में कार्य किया।
भीष्म नारायण सिंह को किस सम्मान से नवाजा गया?
2005 में रूस ने उन्हें ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप के सम्मान से सम्मानित किया था।
अमर सिंह का राजनीतिक जीवन किस पार्टी से जुड़ा था?
अमर सिंह का राजनीतिक जीवन मुख्यतः समाजवादी पार्टी (सपा) से जुड़ा रहा।