क्या अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू से 6411 तीर्थयात्रियों का जत्था रवाना हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू से 6411 तीर्थयात्री रवाना हुए।
- पहले दिन 12300 भक्तों ने गुफा में दर्शन किए।
- सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं।
- तीर्थयात्री बालटाल और पहलगाम मार्ग से गुफा तक पहुंचते हैं।
- यात्रा के दौरान सुरक्षा बलों की मौजूदगी सुनिश्चित की गई है।
श्रीनगर, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अमरनाथ यात्रा के लिए शुक्रवार को जम्मू से एक और जत्था भारी सुरक्षा के बीच रवाना हुआ। इस जत्थे में कुल 6411 तीर्थयात्री शामिल थे।
अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार सुबह भगवती नगर यात्रा निवास से 291 वाहनों के दो सुरक्षा काफिलों में ये यात्री कश्मीर घाटी के लिए निकले। इनमें से 2789 यात्री बालटाल बेस कैंप की ओर जा रहे हैं, जबकि 3622 यात्री पहलगाम बेस कैंप की दिशा में बढ़ रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि 38 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा के पहले दिन, गुरुवार को 12300 यात्रियों ने पवित्र गुफा में दर्शन किए।
यात्रा के दौरान श्रद्धालु 'बम बम भोले' और 'हर हर महादेव' के जयकारों के साथ उत्साहपूर्वक तीर्थ कर रहे हैं। सुरक्षा के विषय पर तीर्थयात्रियों ने कहा, "उन्हें पाकिस्तान या उसके भाड़े के एजेंटों से कोई डर नहीं है। वे भगवान शिव के आह्वान पर यात्रा कर रहे हैं और उनकी कृपा में सुरक्षित महसूस करते हैं।"
इस साल की अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है, क्योंकि यह 22 अप्रैल के कायरतापूर्ण हमले के बाद हो रही है, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पहलगाम में कथित तौर पर धर्म देखकर 26 पर्यटकों की हत्या की थी।
फिलहाल यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर पर मजबूत किया गया है। सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस की मौजूदा ताकत को बढ़ाने के लिए सीएपीएफ की 180 अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं।
दोनों आधार शिविरों के रास्ते में सभी शिविर और जम्मू में भगवती नगर यात्री निवास से गुफा मंदिर तक का पूरा मार्ग सुरक्षाबलों की ओर से सुरक्षित है।
तीर्थयात्री बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा तक दो रास्तों से पहुंचते हैं: एक पारंपरिक पहलगाम मार्ग है और दूसरा छोटा, लेकिन कठिन बालटाल मार्ग है।
पहलगाम रूट पर गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए चंदनवारी, शेषनाग और पंचतरणी से गुजरना पड़ता है, जिसमें कुल 46 किमी की दूरी तय करनी होती है।
बालटाल मार्ग का उपयोग करने वालों को गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए 14 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है और यात्रा करने के बाद उसी दिन बेस कैंप वापस लौटना पड़ता है।