क्या एच-1बी वीजा पर कार्रवाई से अमेरिकी कंपनियां भारत में अपना परिचालन स्थानांतरित करेंगी?

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क्या एच-1बी वीजा पर कार्रवाई से अमेरिकी कंपनियां भारत में अपना परिचालन स्थानांतरित करेंगी?

सारांश

क्या एच-1बी वीजा पर हालिया बदलाव अमेरिकी कंपनियों को भारत में अपना कार्यभार स्थानांतरित करने के लिए मजबूर करेगा? यह रिपोर्ट बताती है कि बदलावों का प्रभाव भारतीय उद्योग पर पड़ सकता है। जानिए इस विषय पर पूरी जानकारी।

Key Takeaways

  • एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव से अमेरिकी कंपनियों का भारत में स्थानांतरण बढ़ सकता है।
  • ट्रंप प्रशासन के कदमों का प्रभाव भारतीय उद्योग पर पड़ेगा।
  • जीसीसी को तैयार आंतरिक इंजन के रूप में देखा जा रहा है।

वाशिंगटन, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा कार्यक्रम में महत्वपूर्ण कटौती करने और इसके नियमों में संशोधन करने संबंधी घोषणा पर हस्ताक्षर करने के कुछ दिनों बाद, एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कदमों से अमेरिकी कंपनियों का महत्वपूर्ण काम भारत में स्थानांतरित होने में तेजी आएगी।

एक लेख में तर्क किया गया है कि ट्रंप प्रशासन के कदमों से वित्त से लेकर अनुसंधान एवं विकास तक के कार्यों को संभालने वाले वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के विकास में तेजी आ सकती है।

रिपोर्ट में डेलॉइट इंडिया के पार्टनर और जीसीसी उद्योग के प्रमुख रोहन लोबो के हवाले से कहा गया है, "उन्हें कई अमेरिकी कंपनियों के बारे में पता है जो अपनी कार्यबल आवश्यकताओं का पुनर्मूल्यांकन कर रही हैं।"

लेख में आगे कहा गया है कि इस बदलाव के लिए योजनाएं पहले से ही चल रही हैं, जो वित्तीय सेवाओं और तकनीक जैसे क्षेत्रों में, और विशेष रूप से अमेरिकी संघीय अनुबंधों से जुड़ी कंपनियों में अधिक गतिविधि की ओर इशारा करती हैं। जीसीसी इस समय के लिए विशिष्ट रूप से तैयार हैं। वे एक तैयार आंतरिक इंजन के रूप में काम करते हैं।

अगर नए वीजा प्रतिबंधों को चुनौती नहीं दी जाती है तो उद्योग विशेषज्ञों को उम्मीद है कि अमेरिकी कंपनियां एआई, उत्पाद विकास, साइबर सुरक्षा और एनालिटिक्स से जुड़े उच्च-स्तरीय कार्यों को अपने भारत स्थित जीसीसी में स्थानांतरित कर देंगी, और रणनीतिक कार्यों को आउटसोर्सिंग के बजाय आंतरिक रूप से ही रखने का विकल्प चुनेंगी।

19 सितंबर को ट्रंप ने एच-1बी वीजा पर नकेल कसने वाले एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें प्रत्येक नए आवेदन के लिए 100,000 डॉलर का शुल्क लगाने की घोषणा की गई। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।

इस घोषणापत्र से भारी भ्रम की स्थिति पैदा हो गई क्योंकि ऐसा लग रहा था कि इसका असर मौजूदा एच-1बी वीजा धारकों पर पड़ेगा, जिन्हें अमेरिका लौटने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

व्हाइट हाउस ने राष्ट्र प्रेस को एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि यह एकमुश्त शुल्क है, जो केवल नए वीजा पर लागू होता है, नवीनीकरण या मौजूदा वीजा धारकों पर नहीं।

कुछ दिनों बाद अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने भी एच-1बी वीजा प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले अपने नियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम इस मुद्दे को गंभीरता से लें। एच-1बी वीजा के नियमों में बदलाव का प्रभाव न केवल अमेरिकी कंपनियों पर, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने हितों की रक्षा करें।
NationPress
30/09/2025

Frequently Asked Questions

एच-1बी वीजा क्या है?
एच-1बी वीजा एक गैर-आवासीय वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है।
ट्रंप के नए नियमों का क्या असर होगा?
नए नियमों के चलते कई अमेरिकी कंपनियां अपने कार्यों को भारत में स्थानांतरित करने पर विचार कर सकती हैं।
भारत में जीसीसी का क्या महत्व है?
जीसीसी, या वैश्विक क्षमता केंद्र, भारतीय कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म है, जिससे वे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
क्या मौजूदा एच-1बी धारकों पर कोई असर पड़ेगा?
व्हाइट हाउस के अनुसार, नए शुल्क मौजूदा धारकों पर लागू नहीं होंगे।
क्या यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है?
यदि अमेरिकी कंपनियां भारत में अपने संचालन को स्थानांतरित करती हैं, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक हो सकता है।