क्या अमेरिकी सीनेटर ने भारत-चीन से आने वाली जेनेरिक दवाओं पर बढ़ती निर्भरता पर चिंता जताई?

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क्या अमेरिकी सीनेटर ने भारत-चीन से आने वाली जेनेरिक दवाओं पर बढ़ती निर्भरता पर चिंता जताई?

सारांश

अमेरिकी सीनेटर रिक स्कॉट ने भारत और चीन से आने वाली जेनेरिक दवाओं पर बढ़ती निर्भरता को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह निर्भरता अमेरिकी परिवारों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है, जिससे स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है।

Key Takeaways

  • अमेरिकी सीनेटर ने भारत और चीन से आने वाली जेनेरिक दवाओं पर चिंता जताई।
  • 80 प्रतिशत एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स विदेशों से आते हैं।
  • दवाओं की घरेलू उत्पादन में गिरावट आ रही है।
  • अमेरिका में 95 प्रतिशत आइबुप्रोफेन चीन से आता है।
  • दवा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है।

वाशिंगटन, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के एक सीनेटर ने भारत और चीन सहित अन्य देशों में निर्मित जेनेरिक दवाओं पर बढ़ती निर्भरता को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। सीनेटर रिक स्कॉट ने कहा कि इन दवाओं पर बढ़ती निर्भरता अमेरिकी परिवारों के लिए खतरा बन सकती है।

सीनेट की स्पेशल कमेटी ऑन एजिंग के अध्यक्ष सीनेटर रिक स्कॉट ने बुधवार को कहा कि अमेरिका में प्रयोग होने वाली जेनेरिक दवाओं और उनके कच्चे रसायनों का एक बड़ा हिस्सा विदेशों में निर्मित होता है। यह स्थिति न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चिंताजनक है।

रिक स्कॉट ने कहा, "जो भी अमेरिकी अन्य देशों में बनी जेनेरिक दवाओं पर निर्भर है, उसे अपनी दवाओं में छिपे इंग्रीडिएंट्स के बारे में जानने का हक है।" उनकी समिति ने अमेरिका की दवा आपूर्ति शृंखला में मौजूद कमजोरियों को उजागर करने के लिए फिर से सक्रियता दिखाई है।

सीनेटर स्कॉट इस मुद्दे पर समिति की वरिष्ठ सदस्य सीनेटर किर्स्टन गिलिब्रैंड के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इस संदर्भ में कई जांच, सुनवाई और सरकारी एजेंसियों तथा उद्योग के साथ संवाद किया गया है।

सीनेटर स्कॉट के अनुसार, अमेरिका में उपयोग की जाने वाली जेनेरिक दवाओं में लगभग 80 प्रतिशत एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) विदेशों से आते हैं। इनमें से कई दवाएं असुरक्षित और गंदे कारखानों में बनाई जाती हैं, जहाँ निरीक्षण की मात्रा बहुत कम होती है। कुछ मामलों में इन दवाओं के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

उन्होंने कहा, "ये दवाएं लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती हैं। इसके अलावा, विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता एक स्ट्रैटेजिक कमजोरी है।"

स्कॉट ने चेतावनी दी कि चीन किसी भी समय दवाओं की आपूर्ति रोक सकता है, जिससे बुजुर्गों, सेना के जवानों और आम अमेरिकियों को आवश्यक दवाएं नहीं मिल पाएंगी।

उन्होंने यह भी कहा कि हालाँकि विदेशी कारखानों में कुछ अचानक निरीक्षण किए जा रहे हैं, लेकिन अमेरिकी एफडीए अमेरिका के बाहर स्थित दवा इकाइयों की तुलना में देश के भीतर कहीं अधिक निरीक्षण करता है। कई बार विदेशी कंपनियों को नियमों के उल्लंघन पर भी छूट दी जाती है ताकि सप्लाई चेन बाधित न हो।

समिति की एक जांच रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका में दवाओं का घरेलू उत्पादन तेजी से घट रहा है। वर्ष 2024 में अमेरिका ने अपनी जरूरत की केवल 37 प्रतिशत दवाएं स्वयं बनाई, जबकि 2002 में यह आंकड़ा 83 प्रतिशत था। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में उपयोग होने वाले 95 प्रतिशत आइबुप्रोफेन, 70 प्रतिशत पैरासिटामोल और 45 प्रतिशत से अधिक पेनिसिलिन चीन से आते हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दुनिया भर में एंटीबायोटिक दवाओं में इस्तेमाल होने वाले लगभग 90 प्रतिशत एपीआई चीन में बनते हैं। वहीं, अमेरिका में उपयोग की जाने वाली शीर्ष 100 जेनेरिक दवाओं में से 83 प्रतिशत के एपीआई का कोई भी स्रोत अमेरिका में नहीं है।

भारत की भूमिका भी इस आपूर्ति शृंखला में महत्वपूर्ण है। अमेरिका में उपयोग की जाने वाली लगभग 50 प्रतिशत जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं, लेकिन भारतीय कंपनियां भी अपने लगभग 80 प्रतिशत एपीआई के लिए चीन पर निर्भर हैं।

समिति ने 2025 के एक अध्ययन का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि भारत में बनी जेनेरिक दवाओं से जुड़े गंभीर दुष्प्रभाव अमेरिका में बनी समान दवाओं की तुलना में 54 प्रतिशत अधिक पाए गए। इन दुष्प्रभावों में स्थायी विकलांगता या मृत्यु जैसे जोखिम शामिल हैं।

सीनेटर स्कॉट ने कहा कि अमेरिकियों को अपनी दवाओं की सुरक्षा और उपलब्धता के लिए जुआ खेलने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने दवा प्रणाली में भरोसा बहाल करने के लिए तत्काल सुधारों की मांग की।

समिति की रिपोर्ट में कई सुझाव दिए गए हैं, जिनमें आवश्यक दवाओं के लिए अमेरिकी निर्मित उत्पादों को प्राथमिकता देने वाला फेडरल बायर मार्केट बनाना, दवा आपूर्ति शृंखला की मैपिंग, दवाओं के मूल देश की जानकारी अनिवार्य करना, व्यापारिक जांच जैसे सेक्शन 232 का उपयोग, 'मेड इन अमेरिका' लेबल के दुरुपयोग को रोकना और अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना शामिल है।

ध्यान देने वाली बात है कि भारत और चीन आज भी वैश्विक जेनेरिक दवा उद्योग के बड़े केंद्र हैं और अमेरिका सहित दुनिया भर में सस्ती दवाओं की आपूर्ति करते हैं।

Point of View

बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी प्रभाव डाल सकता है। हमें इसे एक गंभीरता से लेना चाहिए और इस दिशा में उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।
NationPress
18/12/2025

Frequently Asked Questions

अमेरिकी सीनेटर ने किस विषय पर चिंता जताई है?
अमेरिकी सीनेटर रिक स्कॉट ने भारत और चीन से आने वाली जेनेरिक दवाओं पर बढ़ती निर्भरता पर चिंता जताई है।
भारत और चीन से आने वाली दवाओं का अमेरिका में क्या महत्व है?
ये दवाएं अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली कई महत्वपूर्ण दवाओं का एक बड़ा हिस्सा बनाती हैं, जिससे स्वास्थ्य और सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है।
सीनेटर रिक स्कॉट ने क्या सुझाव दिए हैं?
सीनेटर ने अमेरिकी निर्मित उत्पादों को प्राथमिकता देने और दवा आपूर्ति श्रृंखला में सुधार की आवश्यकता की बात की है।
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