क्या उद्धव-राज ठाकरे के साथ आने पर अमित साटम ने महापौर की कुर्सी पर 'खान' को बैठाने की बात की?
सारांश
Key Takeaways
- उद्धव और राज ठाकरे का एक साथ आना महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव है।
- अमित साटम ने महापौर की कुर्सी पर खान को बिठाने का आरोप लगाया।
- इस गठबंधन में जमात-ए-उलेमा-ए-हिन्द के पदाधिकारी शामिल थे।
- अमित साटम ने भ्रष्टाचार और धार्मिक उन्माद फैलाने का आरोप लगाया।
- मुंबई की जनता को विकास कार्यों की जानकारी है।
नई दिल्ली, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिला है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आ गए हैं। इस पर मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित साटम ने प्रतिवाद किया है। उन्होंने कहा कि ये लोग मुंबई के महापौर की कुर्सी पर एक खान को बैठाना चाहते हैं।
अमित साटम ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उद्धव ठाकरे की पार्टी ने औरंगाबाद के महापौर रशीद मामू को लिया है। इसमें हिंदुओं पर हमला करना और पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी करना शामिल है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच गठबंधन के समय जमात-ए-उलेमा-ए-हिन्द के पदाधिकारी भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि हमें इससे कोई परेशानी नहीं है, बल्कि यह अपेक्षित था। मुझे लगता है कि मामू को साथ रखने वाली यह मामुओं की टोली है। जिनके प्रचार में पाकिस्तान के समर्थन में झंडे फहराए गए और जिनका प्रचार बम विस्फोट के आरोपियों ने किया था, ऐसे लोग मुंबई शहर का रंग बदलना चाहते हैं। वे मुंबई के महापौर के रूप में एक खान को बिठाना चाहते हैं।
अमित साटम ने कहा कि सत्ता में आने से पहले उद्धव ठाकरे कहते थे कि सत्ता में आने के बाद हम मराठी लोगों के लिए काम करेंगे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने केवल भ्रष्टाचार किया है। मराठी लोगों का नाम लेकर पीछे से धार्मिक उन्माद फैलाने वालों को समर्थन और बढ़ावा देना ही इनका असली और हिडन एजेंडा है।
अमित साटम ने कहा कि दोनों भाई पिछले 18 वर्षों से एक-दूसरे का प्रशंसा करते रहे हैं। मैं रोजाना इस तरह के वीडियो साझा करूंगा और सवाल पूछूंगा। उन्होंने कहा कि वीडियो सभी के सामने आएंगे और मुंबई की जनता तय करेगी कि कौन सही है और कौन गलत।
उन्होंने कहा कि मुंबई की जनता को अच्छे से पता है कि अटल सेतु किसने बनाया, मुंबई में मेट्रो किसने बनाया, कोस्टल रोड किसने बनाया, और हर जगह सीसीटीवी कैमरा किसने लगाया। ये सब भाजपा और महायुति की सरकार ने बनवाया है।
उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई में अगर कोई सालों से यहां रहता हो, कोई भी भाषा बोलता हो, देश के किसी भी हिस्से का हो, वह मराठी भाषा बोलता हो और उसका सम्मान करता हो, तो सभी हमारे लिए मराठी हैं। भाषा संपर्क का माध्यम होती है, संघर्ष का नहीं। हमारा यही मानना है।