क्या सरदार पटेल को 28 वोट मिले, लेकिन सिर्फ दो वोट पाकर नेहरू प्रधानमंत्री बन गए?
सारांश
Key Takeaways
- सरदार पटेल को 28 वोट मिले, नेहरू को 2 वोट।
- विपक्ष पर अमित शाह के तीखे आरोप।
- मतदाता सूची और चुनावी धांधली पर गंभीर सवाल।
- ईवीएम का इतिहास और चुनाव में इसका प्रभाव।
- लोकतंत्र में पारदर्शिता की आवश्यकता।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि विपक्ष यह दावा करता है कि भाजपा को कभी सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं करना पड़ता। असल में, सत्ता विरोधी लहर का सामना वही करते हैं जो जनहित के खिलाफ कार्य करते हैं।
अमित शाह ने आगे कहा कि यह सच है कि भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का कम सामना करना पड़ता है। हमारी सरकारें लगातार जीत रही हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि हमने 2014 के बाद सभी चुनाव जीते। छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, चेन्नई, और बंगाल में हमें हार का सामना करना पड़ा।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जब आप चुनाव जीतते हैं, तब आप मतदाता सूची का विरोध नहीं करते, लेकिन जब हार का सामना करना पड़ता है, तब वह गलत होती है। लोकतंत्र में दोहरे मापदंड नहीं चलेंगे।
अमित शाह ने चुनावी धांधली का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद देश के प्रधानमंत्री का चुनाव राज्य प्रमुखों के वोट के आधार पर होना था। सरदार पटेल को 28 वोट मिले जबकि नेहरू को केवल दो वोट मिले, फिर भी नेहरू प्रधानमंत्री बने। यह एक प्रकार की वोट चोरी का उदाहरण है।
दिल्ली की अदालत में हाल ही में एक विवाद दायर किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सोनिया गांधी को आधिकारिक तौर पर भारत की नागरिकता मिलने से पहले ही मतदाता सूची में शामिल कर लिया गया था।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनी गईं, और राज नारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा कि यह चुनाव नियमों के अनुसार नहीं हुआ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव को रद्द कर दिया था और उसके बाद संसद में कानून लाया गया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई केस नहीं हो सकता।
अमित शाह ने कहा कि हमें विपक्ष में बैठने का अनुभव है। हमने जितने चुनाव जीते हैं, उससे अधिक हारे हैं, लेकिन हमने कभी चुनाव आयोग पर आरोप नहीं लगाए। चुनावों में हार का मुख्य कारण नेतृत्व है, न कि मतदाता सूची या ईवीएम।
उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, तब से विपक्ष को आपत्ति है। 2014 से 2025 तक हम लोकसभा और विधानसभा मिलाकर 44 चुनाव जीत चुके हैं।
उन्होंने कहा कि ईवीएम का उपयोग 1989 में राजीव गांधी के शासन में शुरू हुआ था। सर्वोच्च न्यायालय ने इसके प्रयोग को उचित ठहराया। जब ईवीएम आई, तब चुनाव की चोरी बंद हो गई।
अमित शाह ने निष्कर्ष निकाला कि ईवीएम का दोष नहीं है; चुनाव जीतने का तरीका भ्रष्ट था, और आज यह सब उजागर हो चुका है।