क्या 10 सितंबर को अमिताभ को मिला था 'सदी के अभिनेता' का खिताब?

सारांश
Key Takeaways
- अमिताभ बच्चन का सफर 1969 से शुरू हुआ और उन्होंने कई हिट फिल्में दीं।
- उन्हें 10 सितंबर 2001 को 'सदी के अभिनेता' का खिताब मिला।
- उनकी पहचान और संघर्ष ने उन्हें एक सांस्कृतिक प्रतीक बनाया।
मुंबई, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अगर बॉलीवुड में किसी नाम ने चार दशकों से अधिक समय तक अपनी पहचान बनाई है, तो वह अमिताभ बच्चन हैं। जब उन्होंने फिल्मों में पहला कदम रखा, तब किसी ने नहीं सोचा था कि एक लंबा और दुबला-पतला युवक एक दिन सदी के सबसे बड़े अभिनेता का खिताब हासिल करेगा। उनके प्रशंसक न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में फैले हुए हैं।
इसी वजह से, 10 सितंबर 2001 को जब उन्हें मिस्र में आयोजित अलेक्जेंड्रिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 'सदी के अभिनेता' का खिताब दिया गया, तो यह न केवल एक पुरस्कार था, बल्कि भारतीय सिनेमा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी बन गया।
अमिताभ बच्चन का फिल्मी सफर 1969 में फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' से शुरू हुआ। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन अमिताभ के शानदार अभिनय ने सभी का ध्यान खींचा। इसके बाद फिल्म 'आनंद' में उन्होंने डॉक्टर भास्कर बनर्जी का किरदार निभाया, जो दर्शकों के दिलों में बस गया। इस भूमिका के लिए उन्हें फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार भी मिला।
उनकी असली पहचान 1973 में फिल्म 'जंजीर' से बनी, जिसमें उन्होंने इंस्पेक्टर विजय खन्ना का रोल निभाया। इसी फिल्म ने उनकी छवि एक 'एंग्री यंग मैन' के रूप में स्थापित की, जिसने अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। इसके बाद 'दीवार', 'शोले', 'डॉन', 'त्रिशूल', और 'अमर अकबर एंथनी' जैसी कई सुपरहिट फिल्मों ने उन्हें बॉलीवुड का सबसे बड़ा सितारा बना दिया।
1970 और 1980 का दशक अमिताभ बच्चन के नाम रहा। उस समय में उन्होंने हर साल एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं। लेकिन उनके जीवन में मुश्किलें भी आईं। 1982 में फिल्म 'कुली' की शूटिंग के दौरान उन्हें गंभीर चोट आई, जिसके चलते उनका कई महीनों तक इलाज चला। उनके लाखों प्रशंसकों ने उनके लिए मंदिरों, मस्जिदों, और गुरुद्वारों में दुआएं मांगीं।
फिल्मों के अलावा, 2000 में उन्होंने टीवी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' से अपने करियर में एक नई शुरुआत की। यह शो आज भी पूरे देश में बेहद रुचि के साथ देखा जाता है। इस शो ने न केवल उनकी पहचान को नया जीवन दिया, बल्कि नई पीढ़ी को भी उनके करीब ला दिया। इसी दौरान उन्होंने 'मोहब्बतें', 'बागबान', 'ब्लैक', 'पा', 'पिंक', और 'शमिताभ' जैसी फिल्मों में अपने अनुभव और उम्र के अनुसार किरदार निभाए।
इन सभी उपलब्धियों और संघर्षों को देखते हुए, 10 सितंबर, 2001 को अलेक्जेंड्रिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ने उन्हें 'सदी के अभिनेता' के खिताब से सम्मानित किया। मिस्र में यह सम्मान समारोह सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह भारतीय सिनेमा के प्रति दुनिया के सम्मान का प्रतीक बन गया। वहां मौजूद दर्शकों और अंतरराष्ट्रीय फिल्म समीक्षकों ने अमिताभ के काम की सराहना की और खड़े होकर तालियां बजाईं।
अपने करियर में अमिताभ बच्चन को कई बड़े सम्मान मिले हैं। उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्म श्री (1984), पद्म भूषण (2001), और पद्म विभूषण (2015) से सम्मानित किया गया है। उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भी मिल चुका है, जो भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है।