क्या हिंदी का विरोध करने वाले हिंदुस्तान का विरोध कर रहे हैं? : अनिल विज

सारांश
Key Takeaways
- हिंदी का विरोध हिंदुस्तान का विरोध है।
- जीएसटी का बढ़ना अर्थव्यवस्था की वृद्धि को दर्शाता है।
- राजनीति में धर्म और जाति की राजनीति नहीं होनी चाहिए।
- अरविंद केजरीवाल की नीतियों से देश की राजनीति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- सभी भाषाओं को समान सम्मान मिलना चाहिए।
अंबाला, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के विधायक रविदास मेहरोत्रा द्वारा दिए गए विवादास्पद बयान ने राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने सपा नेता के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा ने कभी भी धर्म और जाति की राजनीति नहीं की है। ऐसे महानुभाव जो इस प्रकार के बयान देते हैं, वे अल्पज्ञानी हैं; इन्हें भाजपा का असली चरित्र नहीं पता है।
हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने महाराष्ट्र के भाषा विवाद पर कहा कि जो लोग हिंदी का विरोध करते हैं, वे हिंदुस्तान का विरोध कर रहे हैं। आप अपनी भाषा भी सिखाइए, इससे किसी को कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन हिंदी हमारे देश की भाषा है, जो पूरे देश को एक धागे में पिरोती है।
लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का कहना है कि भाजपा के राज में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) आर्थिक अन्याय का हथियार बन गया है। अनिल विज ने इस पर कहा कि यदि किसी से जबरदस्ती जीएसटी लिया गया है, तो राहुल गांधी बताएं। जब से जीएसटी लागू हुआ है, तब से हर बार 3 लाख करोड़ रुपये की आय होती है। जीएसटी का बढ़ना इस बात का संकेत है कि लोगों के कारोबार बढ़ रहे हैं, रोजगार मिल रहा है और क्रय-विक्रय की शक्ति में वृद्धि हो रही है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार पर अरविंद केजरीवाल ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे तो चलता रहता है। इस पर अनिल विज ने कहा कि अगर ऊपर-नीचे चलता रहता है, तो ईश्वर करें आप हमेशा नीचे ही रहें, ऊपर न आएं, क्योंकि उन्हें सब एक जैसा लगता है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने देश की राजनीति को गंदा कर दिया है। उन्होंने अपनी सरकार के पैसे से लालच देकर वोट लेने की परंपरा बनाई। केजरीवाल के राज में वे स्वयं और उनके मंत्री जेल गए, तो ऐसी पार्टी हमेशा नीचे ही जाएगी।