क्या अंजॉ सड़क हादसे में लापुखुरी चाय बागान में 6 शवों को दफनाया गया?
सारांश
Key Takeaways
- गेलापुखुरी चाय बागान में मातम का माहौल रहा।
- अरुणाचल प्रदेश में दर्दनाक ट्रक हादसा हुआ।
- हादसे में कुल २१ मजदूरों की जान गई।
- अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए।
- बचाव कार्य में बाधाएँ आईं।
तिनसुकिया, १३ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। असम के तिनसुकिया जिले के गेलापुखुरी चाय बागान में शनिवार को शोक का माहौल छाया रहा। अरुणाचल प्रदेश में हुए एक भयानक ट्रक हादसे में जान गवांने वाले छह लोगों को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। जब छह ताबूत एक साथ कब्रों में उतारे गए, तो पूरा क्षेत्र गहरे दुख में डूब गया। अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए।
जिन छह लोगों को दफनाया गया, उनमें अभय भूमिज (३३), संजय कुमार (३६), जोनस मुंडा (२०), अगर तांती (२४), रजनी नाग (२४), और राहुल कुमार (२५) शामिल हैं। इनमें अगर तांती की कहानी सबसे अधिक दिल दहला देने वाली है, क्योंकि उसकी शादी को केवल १५ दिन हुए थे। उसकी १८ वर्षीय पत्नी माला तांती का सुहाग इतनी जल्दी उजड़ जाएगा, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था।
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शाम करीब साढ़े चार बजे शुरू हुई। इस दौरान तिनसुकिया के विधायक संजय किशन, जिला आयुक्त स्वप्नील पॉल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मयंक कुमार समेत कई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों और स्थानीय लोगों ने पीड़ित परिवारों को सांत्वना देने का प्रयास किया, लेकिन गम इतना गहरा था कि सभी की आंखें नम थीं।
ये सभी शव ८ दिसंबर को हुए उस भयंकर हादसे के हैं, जब मजदूरों को ले जा रहा एक ट्रक अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में हयूलियांग-चगलगाम रोड पर करीब २०० मीटर गहरी खाई में गिर गया था। इस हादसे में तिनसुकिया जिले के कुल २१ मजदूरों की मौत हो गई थी, जिनमें से १८ गेलापुखुरी और तीन ढेलाघाट चाय बागान के थे।
अब तक हादसे के बाद ११ शव बरामद किए जा चुके हैं। शनिवार को पांच और शव मिले हैं, लेकिन बाकी लोगों की तलाश अब भी जारी है। दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र और खराब मौसम राहत और बचाव कार्य में बड़ी बाधा बने हुए हैं।
हादसे के बाद शवों को एंबुलेंसों के काफिले में तिनसुकिया लाया गया। इस दौरान असम सरकार के मंत्री बिमल बोरा और विधायक संजय किशन भी साथ रहे। तिनसुकिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में औपचारिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद शवों को उनके घर और फिर चाय बागान लाया गया। ताबूतों को देखते ही कई परिजन बेसुध होकर गिर पड़े। पूरे बागान में केवल रोने और सिसकियों की आवाजें गूंजती रहीं।