क्या अनुप्रिया पटेल ने श्रीलंका और फिजी के मंत्रियों से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की?
सारांश
Key Takeaways
- भारत-श्रीलंका और भारत-फिजी के बीच स्वास्थ्य सहयोग को मजबूत करना।
- टीबी मुक्त भारत अभियान को गति प्रदान करना।
- आदिवासी क्षेत्रों में समुदाय-आधारित स्क्रीनिंग प्रयासों का विस्तार।
- साझेदारी के नए अवसरों की पहचान।
- टीबी रोगियों के लिए पोषण सहायता में वृद्धि।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को नई दिल्ली में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दूसरे पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन के दौरान श्रीलंका के स्वास्थ्य एवं जनसंचार मंत्री डॉ. नलिंदा जयतिस्सा के साथ एक सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक बैठक की।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इस वार्ता में भारत-श्रीलंका साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया गया, जिसमें स्वास्थ्य संबंधी निरंतर सहयोग, आने वाले वर्षों में सहयोग को और गहरा करने के अवसरों और श्रीलंका के साथ एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में भारत की अटूट प्रतिबद्धता पर चर्चा हुई।
इस बैठक के अलावा, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने वैश्विक शिखर सम्मेलन के दौरान फिजी के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा मंत्री डॉ. रातू एंटोनियो रबिसी लालाबलावु के साथ भी एक सार्थक बैठक की। इस वार्ता में भारत-फिजी की मजबूत और ऐतिहासिक साझेदारी पर चर्चा की गई।
इससे पहले, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा के साथ मध्य प्रदेश के सांसदों के साथ बैठक की। यह बैठक टीबी मुक्त भारत अभियान को गति देने के उद्देश्य से राज्यवार आयोजित की जा रही वार्ताओं का हिस्सा है।
इस दौरान, मध्य प्रदेश के सक्रिय दृष्टिकोण की सराहना करते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आदिवासी और दुर्गम क्षेत्रों में राज्य द्वारा किए गए समुदाय-आधारित स्क्रीनिंग प्रयासों को तेज करने की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि टीबी के मामलों में वृद्धि कार्यक्रम की बेहतर पहुंच और निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के साथ बेहतर सहयोग को दर्शाती है। मंत्री ने एआई-सक्षम चेस्ट एक्स-रे, मोबाइल डायग्नोस्टिक वैन और एनएएटी मशीनों जैसे उन्नत निदान उपकरणों के विस्तार के साथ-साथ निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को प्रदान की जा रही 1,000 रुपए मासिक पोषण सहायता में वृद्धि का भी उल्लेख किया, जिससे उपचार के परिणामों में सुधार हुआ है।