क्या उनका होना सार्थक है? आशुतोष राणा ने गायक जुबीन गर्ग को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी

सारांश
Key Takeaways
- आशुतोष राणा का समाज कल्याण के प्रति समर्पण महत्वपूर्ण है।
- जुबीन गर्ग
- हस्तकला और हस्तशिल्प को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- नॉर्थ-ईस्ट का सांस्कृतिक महत्व हमें समझना चाहिए।
- सभी को अपने दायित्वों को समझकर काम करना चाहिए।
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा को उनकी अभिनय के साथ-साथ हिंदी पर पकड़ और लेखन शैली के लिए भी जाना जाता है।
हाल ही में, एक्टर को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (इम्फाल) के एक कार्यक्रम में देखा गया, जो दिल्ली में आयोजित हुआ।
इस अवसर पर उन्होंने गायक जुबीन गर्ग और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों, समाज कल्याण और आधुनिकीकरण पर खुलकर चर्चा की।
आशुतोष राणा को कला और संस्कृति से गहरा प्रेम है और वे देश में सामाजिक कल्याण को अपना सर्वोत्तम धर्म मानते हैं। एक्टर ने सभी राजनेताओं और सितारों से अपील की है कि वे अपने दायित्व को निभाएं।
उन्होंने कहा, "हर नेता और राजनेता समाज की निर्मिती होते हैं और निर्मिती पर समाज का पूरा अधिकार है। इसलिए, अपने-अपने दायित्व को समझें और समाज कल्याण के लिए कुछ योगदान करें।"
जुबीन गर्ग को श्रद्धांजलि देते हुए एक्टर ने कहा कि कलाकार कहीं नहीं जाते, वे हमेशा अपनी कला की वजह से जीवित रहते हैं, और उनका आना और जाना दोनों ही सार्थक होते हैं, क्योंकि होना ही सार्थक है।
उन्होंने जल्द नॉर्थ-ईस्ट आने की बात की और कहा कि हाल में वे मां कामाख्या के दर्शन करने गए थे। हालांकि, वे ज्यादा समय नहीं रुक पाए, लेकिन जब भी मौका मिलेगा, वे नॉर्थ-ईस्ट में जरूर आएंगे। उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट राज्यों को देव स्थान भी बताया।
आशुतोष राणा ने मशीनीकरण की रेस में हस्तकला और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने की बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मशीनीकरण की वजह से मनुष्य का महत्व खत्म हो गया है। भले ही हमने बहुत तरक्की कर ली है, लेकिन हमने ऐसी मशीन नहीं बनाई है, जो मनुष्य का निर्माण कर रही हो। अगर ऐसा हो भी गया, तो वह मनुष्य के अंदर मनुष्यत्व नहीं डाल पाएगी।