क्या असम में बाल विवाह के मामलों में वास्तव में गिरावट आई है? : सीएम हिमंता बिस्वा सरमा
सारांश
Key Takeaways
- असम में बाल विवाह के मामलों में महत्वपूर्ण कमी आई है।
- कड़े कानून और प्रशासनिक सुधारों का प्रभावी कार्यान्वयन।
- टास्क फोर्स का गठन कर बाल विवाह रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई।
- आशा वर्कर्स और स्कूल शिक्षकों की सक्रिय भूमिका।
- समुदाय की भागीदारी से बदलाव संभव है।
गुवाहाटी, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य में बाल विवाह के खिलाफ चल रही मुहिम के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा कि कड़े कानूनों, तेज कार्रवाई और प्रशासनिक सुधारों के कारण राज्य में नाबालिग लड़कियों की शादी के मामलों में काफी कमी आई है।
सीएम सरमा ने पुरानी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि एनएफएचएस-4 (2015-16) के अनुसार, असम में 20-24 साल की उम्र की 31.8 प्रतिशत महिलाएं 18 साल से पहले विवाह कर चुकी थीं, जो उस समय के राष्ट्रीय औसत से अधिक था।
उन्होंने बताया कि धुबरी, साउथ सलमारा, बारपेटा और नागांव जैसे जिलों में स्थिति अधिक चिंताजनक थी, जहां बाल विवाह का अनुपात 40 से 55 प्रतिशत के बीच था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों में राज्य सरकार ने इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए बहुत सख्त कदम उठाए हैं।
उन्होंने बताया कि 2023 और 2024 के बीच 8,600 से ज्यादा गिरफ्तारियां की गईं। ये कार्रवाई पोक्सो एक्ट और बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए) के तहत बड़ी संख्या में की गई।
सरमा ने कहा कि 2021 में जहां केवल 149 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 224 तक पहुंच गई, जो इस बात का संकेत है कि पिछले वर्षों में कानून के अनुपालन को लेकर राज्य ने बहुत सख्ती दिखाई।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अब हर जिले में एक टास्क फोर्स बनाई गई है, जिसका नेतृत्व जिले के एसपी कर रहे हैं। इस टास्क फोर्स का काम संभावित बाल विवाह की सूचना मिलने पर उसे रोकना, समुदाय के कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय करना और कानून के तहत त्वरित कार्रवाई करना शामिल है।
उन्होंने यह भी कहा कि आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी कर्मचारी और स्कूल शिक्षक अब किसी भी संदिग्ध जानकारी को तुरंत प्रशासन को रिपोर्ट कर रहे हैं। कई जिलों में डिजिटल डेटाबेस और चाइल्ड-प्रोटेक्शन ट्रैकिंग सिस्टम भी विकसित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में बाल विवाह के मामलों में 8 प्रतिशत से 17 प्रतिशत तक की कमी आई है। साथ ही 2023-24 में 3,000 से अधिक संभावित बाल विवाह को समय पर रोक लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों में अक्सर बाल विवाह को सामाजिक प्रथा मानकर नजरअंदाज किया जाता था। लेकिन अब सरकार इसे गंभीर अपराध के रूप में देख रही है और उसके अनुसार कार्रवाई भी कर रही है।