क्या श्रीराम मंदिर के निर्माण से कारीगरों को मिले हैं नए अवसर?
Key Takeaways
- अयोध्या में ध्वजारोहण समारोह से विकास की नई कहानी जुड़ी है।
- स्थानीय कारीगरों को नए अवसर मिल रहे हैं।
- पर्यटन उद्योग में वृद्धि हो रही है।
- युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खुल रहे हैं।
- अयोध्या की कारीगरी अब ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर बिक रही है।
लखनऊ, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अयोध्या में ध्वजारोहण समारोह एक ऐसा महोत्सव बनता जा रहा है जो विकास की पूरी कहानी को अपने अंदर समेटे हुए है। यह समारोह केवल आस्था का पर्व नहीं है, बल्कि एक ऐसा आयोजन है जिसने युवाओं, उद्योगों, कारीगरों और आम नागरिकों के लिए नए अवसरों का द्वार खोल दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या अब केवल एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि विकास की प्रयोगशाला बन चुकी है। अयोध्या के ऐतिहासिक विकास ने युवाओं की ज़िंदगी में नई रोशनी, स्थानीय उद्योगों में नई जान और परंपरागत कला में एक नई दिशा दी है।
अयोध्या में 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री राम मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराएंगे। इस विशेष कार्यक्रम के दौरान देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक आने की संभावना है। इससे होटल, रेस्टोरेंट, टूर और ट्रैवल्स, स्थानीय उत्पादों, ओडीओपी के तहत गुड़ कारोबार जैसे कई व्यवसायों में वृद्धि होगी।
इस दौरान अयोध्या में करोड़ों का कारोबार होने का अनुमान है। ध्वजारोहण समारोह से पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों में नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ने की संभावना है। जब लाखों श्रद्धालु शहर की ओर बढ़ते हैं, तो शहर की अर्थव्यवस्था भी तेजी से चलती है। होटल, रेस्टोरेंट, ट्रैवल एजेंसियां, सुरक्षा सेवाएं, इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां और स्थानीय दुकानों के लिए लाभ के दरवाजे खुल जाते हैं।
उत्तर प्रदेश में धार्मिक केंद्रों के रूप में अयोध्या-वाराणसी-प्रयागराज के पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र में 2017 से अब तक पर्यटकों की संख्या में 361 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश का पर्यटन सेक्टर अगले कुछ वर्षों में 70,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। विकास परियोजनाएं अयोध्या को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि राम वन गमन पथ का निर्माण 4,403 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है। ग्रीनफील्ड टाउनशिप प्रोजेक्ट 2,182 करोड़ में बन रहा है। शहर की जनसंख्या और भूमि उपयोग की योजना भी स्पष्ट है। अयोध्या शहर की वर्तमान जनसंख्या लगभग 11 लाख है, जो 2031 तक लगभग 24 लाख और 2047 तक लगभग 35 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। इन विकास परियोजनाओं का सीधा लाभ युवाओं को मिल रहा है। उनके लिए रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
2017 से पहले युवाओं में यह धारणा बन गई थी कि छोटे शहरों में रहने वाले युवाओं को बड़े सपने देखने का हक नहीं है। करियर के लिए उन्हें महानगरों की दौड़ धूप में जाना पड़ता था। लेकिन अयोध्या ने इस मिथक को तोड़ दिया है। राम मंदिर निर्माण और अयोध्या के भव्य विकास के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि यहां से जाने वाले युवा अब वापस लौट रहे हैं।
अधिकारी के अनुसार स्थानीय रोजगार में वृद्धि, व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार और पर्यटन उद्योग के विकास ने युवाओं को यह विश्वास दिलाया है कि उनके सपने अब उनके अपने शहर में पूरे हो सकते हैं। आज अयोध्या के युवा अपने परिवारों के साथ रहकर वही कमा पा रहे हैं, जो पहले उन्हें दूर रहकर कमाना पड़ता था। यह बदलाव सिर्फ रोजगार का नहीं, बल्कि सामाजिक स्थिरता और पारिवारिक मजबूती का भी प्रतीक है।
उत्तर प्रदेश का एक जिला, एक उत्पाद अभियान अयोध्या की वास्तविक ताकत बनकर उभरा है। अयोध्या की काष्ठ कला, गुलाब उत्पाद, धार्मिक उपहार, मूर्तिकला, राम नाम से जुड़े स्मृति चिह्न सभी को देश-विदेश के बाजारों में नई पहचान मिली है।
राम मंदिर आने वाले लाखों पर्यटकों के कारण स्थानीय उत्पादों की मांग में कई गुना वृद्धि हुई है। इससे स्थानीय कलाकारों, महिलाओं के स्वयं-सहायता समूहों और छोटे उद्यमियों को नए रोजगार के अवसर मिले हैं। आज अयोध्या की कारीगरी अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफार्मों पर बिक रही है, जो पहले केवल स्थानीय बाजारों तक सीमित थी। जहाँ पहले कारीगरों के हाथ खाली रहते थे, वहीं आज उनकी कला की चमक लोगों के घरों और दिलों में जगह बना रही है।