क्या अयोध्या में 52 एकड़ में बनेगा वर्ल्ड-क्लास मंदिर संग्रहालय?
सारांश
Key Takeaways
- अयोध्या में 52.102 एकड़ भूमि पर वर्ल्ड-क्लास मंदिर संग्रहालय का निर्माण होगा।
- यह टाटा ग्रुप द्वारा विकसित और संचालित किया जाएगा।
- परियोजना से रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
- यह संग्रहालय अयोध्या की सांस्कृतिक पहचान को बढ़ाएगा।
- परियोजना के तहत दिव्यांग पुनर्वास केंद्र भी खोले जाएंगे।
लखनऊ, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अयोध्या को वैश्विक स्तर पर एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में विकसित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। कैबिनेट ने टाटा सन्स के सहयोग से अयोध्या में प्रस्तावित विश्व स्तरीय ‘मंदिर संग्रहालय’ का दायरा बढ़ा दिया है।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि टाटा सन्स ने अपने सीएसआर फंड के माध्यम से एक आधुनिक मंदिर संग्रहालय विकसित करने और उसका संचालन करने की इच्छा व्यक्त की है। इसके लिए, कंपनी एक्ट 2013 की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी एसपीवी का गठन किया जाएगा, जिसमें भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। परियोजना के लिए भूमि आवंटन हेतु भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और टाटा सन्स के मध्य त्रिपक्षीय एमओयू 3 सितंबर 2024 को हस्ताक्षरित किया गया था।
सुरेश खन्ना ने आगे बताया कि पहले प्रदेश सरकार ने अयोध्या के मांझा जमथरा गांव में 25 एकड़ नजूल भूमि टाटा सन्स को 90 वर्षों के लिए देने की अनुमति दी थी, लेकिन संग्रहालय की भव्यता के लिए और अधिक भूमि की आवश्यकता थी। अब, इस भूमि के अतिरिक्त 27.102 एकड़ और मिलाकर कुल 52.102 एकड़ भूमि का निःशुल्क हस्तांतरण आवास एवं शहरी नियोजन विभाग से पर्यटन विभाग के पक्ष में किया जाएगा। वर्ल्ड-क्लास मंदिर संग्रहालय बनने के बाद अयोध्या को न केवल एक नया सांस्कृतिक पहचान चिन्ह मिलेगा, बल्कि बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होंगे। साथ ही, बढ़ते पर्यटन से सरकार को राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
ज्ञात हो कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और ध्वजारोहण समारोह के बाद अयोध्या में पर्यटकों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है, अब प्रतिदिन लगभग 2 से 4 लाख पर्यटक अयोध्याधाम पहुंच रहे हैं। युवा पीढ़ी, विदेशी सैलानियों और भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाले आगंतुकों को ध्यान में रखते हुए यह संग्रहालय अयोध्या में सांस्कृतिक आकर्षणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में दिव्यांगजनों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। सरकार ने राज्य के सभी 18 मंडलों में नए जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) खोलने को मंजूरी दी है। वर्तमान में प्रदेश के 38 जिलों में ऐसे केंद्र चल रहे हैं, लेकिन कुछ समस्याओं के कारण कई जगह संचालन प्रभावित हो रहा था। अब सरकार पूरे ढांचे को नए सिरे से संसाधनों से लैस करते हुए संचालित करने जा रही है, ताकि दिव्यांगजनों को मिलने वाली सेवाओं में कोई बाधा न आए।
कैबिनेट के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि नए डीडीआरसी खुलने से प्रदेश में दिव्यांगजनों को सर्वे, पहचान, शिविर, सहायक उपकरण, कृत्रिम अंग फिटमेंट और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होंगी। इसके साथ ही फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी जैसी नैदानिक सेवाएं भी इन केंद्रों पर प्रदान की जाएंगी। यूडीआईडी कार्ड और दिव्यांग प्रमाणपत्र जैसे आवश्यक दस्तावेज बनवाने में भी अब लोगों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी। सरकार का मानना है कि इस फैसले से दिव्यांगजनों को योजनाओं का लाभ समय पर और सुगमता से मिल सकेगा और उनके पुनर्वास की प्रक्रिया मजबूत होगी।