क्या बछवाड़ा विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास और जातीय समीकरण हैं महत्वपूर्ण?

सारांश
Key Takeaways
- बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक पहचान और जातीय समीकरण महत्वपूर्ण हैं।
- कृषि पर आधारित स्थानीय अर्थव्यवस्था यहाँ की संस्कृति को प्रभावित करती है।
- 2025 का चुनाव कांटे की टक्कर का हो सकता है।
- मतदाता विकास, रोजगार, और बुनियादी सुविधाएँ की अपेक्षा कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के बेगूसराय जिले का बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र अपनी विविध राजनीतिक इतिहास और जातिगत समीकरणों के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र 24-बेगूसराय लोकसभा सीट के अधीन आता है, जिसमें चेरिया बरियारपुर, बछवाड़ा, तेघरा, मटिहानी, साहबपुर कमल, बेगूसराय और बखरी (एससी) जैसे सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
मिथिला क्षेत्र का हिस्सा होने के चलते गंगा नदी की निकटता यहां की संस्कृति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। स्थानीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है, जहां धान, गेहूं, मक्का जैसी फसलें उगाई जाती हैं। विधानसभा क्षेत्र से बेगूसराय जिला मुख्यालय 35 किमी दूर है, जबकि समस्तीपुर मात्र 12 किमी पर स्थित है। निकटवर्ती शहरों में दलसिंहसराय और मोकामा प्रमुख हैं।
यहां आजादी के बाद 1952 से विधायकों का चुनाव होता आ रहा है। अब तक 17 चुनावों में कांग्रेस ने 7 बार और सीपीआई ने 5 बार जीत हासिल की है। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, निर्दलीय, राजद और भाजपा ने एक-एक बार सफलता पाई है। पिछले छह चुनावों में किसी पार्टी को लगातार दो जीत नहीं मिली, जो मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
2020 में भाजपा ने बेगूसराय विधायक सुरेंद्र मेहता को यहां उतारा, जिन्होंने 484 वोटों के नजदीकी अंतर से सीपीआई के अवधेश राय को हराकर पहली बार जीत दर्ज की। 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजे इसलिए विशेष रहे क्योंकि इससे पहले अवधेश राय तीन बार विधायक रह चुके थे और यादव समुदाय से हैं, जो बछवाड़ा में 25 प्रतिशत से अधिक आबादी रखते हैं। इससे पहले 12 में से 11 चुनावों में यादव उम्मीदवार की जीत हुई है।
मार्च 2024 से सुरेंद्र मेहता बिहार सरकार में खेल मंत्री हैं, जो धनुक जाति से आते हैं। यह भाजपा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, क्योंकि पहले यहां से चुने विधायकों को मंत्री पद नहीं मिला। हालाँकि, एनडीए को इस बार बछवाड़ा की सीट निकालने में कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2024 लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से भाजपा के गिरिराज सिंह जीते, लेकिन बछवाड़ा में सीपीआई के अभयेश कुमार राय से 4,516 वोट पीछे रहे। यह भाजपा के लिए एक चेतावनी है।
चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, बछवाड़ा विधानसभा की कुल जनसंख्या 5,20,770 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 2,73,918 और महिलाओं की संख्या 2,46,852 है। मतदाताओं की बात करें तो विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,13,772 मतदाता हैं। इसमें 1,65,662 पुरुष और 1,48,102 महिला मतदाता हैं, जबकि 8 थर्ड जेंडर के वोटर्स हैं।
2025 विधानसभा चुनाव में बछवाड़ा कांटे की टक्कर का मैदान बन सकता है। भाजपा को जातिगत समीकरण साधने और विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। सीपीआई और अन्य दल मजबूती से लौट सकते हैं। प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा ने भी यहां सभाएं कीं, जहां उन्होंने विशेष रूप से नीतीश सरकार पर हमला बोला। मतदाता विकास, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की अपेक्षा कर रहे हैं।