क्या अखिलेश यादव एक समुदाय को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं? : एसपी सिंह बघेल

सारांश
Key Takeaways
- कांवड़ यात्रा भारत की सांस्कृतिक धरोहर है।
- अखिलेश यादव के बयान पर एसपी सिंह बघेल ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
- तुष्टिकरण से समाज में विभाजन हो सकता है।
- सहिष्णुता और कानून-व्यवस्था बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
- भारत की धार्मिक परंपराएं विश्व में अद्वितीय हैं।
लखनऊ, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने शनिवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कांवड़ यात्रा में डीजे और माइक पर प्रतिबंध की मांग की थी।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने अखिलेश यादव पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे बयान देकर वह केवल एक समुदाय को खुश करने का प्रयास कर रहे हैं। यदि उन्हें इतनी हिम्मत है, तो हजरत मीर जैसे मुद्दों पर भी बोलें।
उन्होंने कांवड़ यात्रा और भारत की सांस्कृतिक धरोहर पर अपने विचार साझा किए और कहा कि भारत 12 ज्योतिर्लिंगों और शंकराचार्य द्वारा स्थापित सांस्कृतिक परंपराओं वाला देश है। काशी को विश्व की सबसे प्राचीन नगरी बताते हुए उन्होंने गंगा के तट पर बसे इस क्षेत्र की महत्ता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि हरिद्वार से गंगा जल लाकर स्थानीय मंदिरों में चढ़ाने की परंपरा को सभी को समर्थन देना चाहिए। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कांवड़ यात्रा के लिए की गई तैयारियों की सराहना की और कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कांवड़ियों को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए। इस दिशा में कई सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कांवड़ियों को मार्ग में कोई बाधा न आए।
उन्होंने कांवड़ यात्रियों को शुभकामनाएं देते हुए आग्रह किया कि वे भीड़ की मानसिकता से बचें और सहिष्णुता बरतें। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना पुलिस का कार्य है, न कि डीजे और माइक को नियंत्रित करना।
बघेल ने कांवड़ यात्रा को भारत की सभ्यता, संस्कृति, धर्म और आध्यात्मिकता का प्रतीक बताया और कहा कि यह यात्रा भारतीय साहित्यिक और धार्मिक परंपराओं को मजबूत करती है। सनातन धर्म सहिष्णु है और इसे कमजोरी नहीं समझना चाहिए।