क्या बाइचुंग भूटिया भारत के फुटबॉल सुपरस्टार हैं?
सारांश
Key Takeaways
- बाइचुंग भूटिया ने भारतीय फुटबॉल को एक नई पहचान दी।
- उन्होंने सिक्किम से उठकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया।
- फुटबॉल में उनके योगदान को अर्जुन पुरस्कार और पद्म श्री जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बाइचुंग भूटिया को भारत के फुटबॉल सुपरस्टार के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने सिक्किम से उठकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया। उन्होंने भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तानी करते हुए इसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। संन्यास के बाद भी, यह महान खिलाड़ी फुटबॉल के विकास में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
15 दिसंबर 1976 को सिक्किम के तिनकितम में जन्मे बाइचुंग भूटिया की फुटबॉल के प्रति गहरी रुचि थी। इसके अलावा, उन्होंने अपने विद्यालय में बैडमिंटन, बास्केटबॉल और एथलेटिक्स जैसे खेलों में भी भाग लिया।
उनके माता-पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा खेलों में करियर बनाए। वे चाहते थे कि बाइचुंग अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करे। लेकिन बाइचुंग ने महज नौ साल की उम्र में गंगटोक में ताशी नामग्याल एकेडमी में दाखिला लेने के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) से स्कॉलरशिप प्राप्त की।
1992 में सुब्रतो कप में बाइचुंग भूटिया को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया, जिसने उन्हें पूरे देश में पहचान दिलाई। उनकी फुटबॉल के प्रति दीवानगी इस कदर थी कि उन्होंने बोर्ड परीक्षा देने के बजाय अंडर-16 फुटबॉल टीम में खेलने को प्राथमिकता दी। केवल 19 साल की उम्र में उन्होंने नेहरू कप में थाईलैंड के खिलाफ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। वह इस डेब्यू में सबसे कम उम्र के गोल करने वाले भारतीय खिलाड़ी बने। 2008 में उन्होंने भारत को एएफसी चैलेंज कप जिताने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भारतीय फुटबॉल के पोस्टर ब्वॉय, बाइचुंग भूटिया को 1995 और 2008 में इंडियन प्लेयर ऑफ द ईयर के खिताब से नवाजा गया। 1996-97 सीज़न में उन्होंने इंडियन नेशनल फुटबॉल लीग जीती। 1999 में, वह यूरोपीय क्लब के लिए अनुबंधित होने वाले पहले भारतीय फुटबॉलर बने, जब उन्हें इंग्लैंड के बरी एफसी के साथ तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट मिला।
फुटबॉल में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए बाइचुंग भूटिया को 1998 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद, 2008 में उन्हें पद्म श्री से नवाजा गया। 2014 में उन्हें एएफसी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया और उसी वर्ष उन्हें बंग भूषण भी मिला।
बाइचुंग भूटिया का भारतीय फुटबॉल में योगदान ऐतिहासिक और बहुआयामी रहा है। संन्यास के बाद भी, उन्होंने राजनीति, प्रशासन और जमीनी स्तर पर फुटबॉल अकादमी के माध्यम से खेल के विकास में योगदान दिया है।