क्या बलूचिस्तान में खराब कानून व्यवस्था को लेकर प्रदर्शन हो रहा है?

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क्या बलूचिस्तान में खराब कानून व्यवस्था को लेकर प्रदर्शन हो रहा है?

सारांश

इस्लामाबाद में पत्रकारों के समक्ष, मौलाना हिदायतुर रहमान ने बलूचिस्तान की बिगड़ती स्थिति पर गंभीरता से बात की। उन्होंने सरकार को एक अल्टीमेटम दिया है और चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो उनका विरोध मार्च रावलपिंडी तक जाएगा। क्या यह बलूचिस्तान की स्थिति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है? जानें इस रिपोर्ट में।

Key Takeaways

  • बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगियां गंभीर समस्या हैं।
  • जमात-ए-इस्लामी ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है।
  • प्रदर्शन का उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है।
  • सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए गए हैं।
  • ग्वादर के नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं की मांग है।

क्वेटा, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बलूचिस्तान में लगातार हो रही जबरन गुमशुदगियां और कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर जमात-ए-इस्लामी बलूचिस्तान के अमीर मौलाना हिदायतुर रहमान ने शरीफ सरकार को छह महीने का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी आठ सूत्रीय मांगों को समय पर लागू नहीं किया गया, तो पार्टी रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी सेना मुख्यालय तक विरोध मार्च करेगी।

यह घोषणा रहमान ने इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए की, जहां वह 25 जुलाई को शुरू हुए क्वेटा से इस्लामाबाद तक के लंबे विरोध मार्च का नेतृत्व कर रहे थे।

इस मार्च का उद्देश्य बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचारों और समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाना है, जिनमें जबरन गुमशुदगियां, कानूनहीनता, चेकपोस्टों पर अपमानजनक व्यवहार, फ्रंटियर कॉर्प्स की अति मौजूदगी, सीमा बंदी और "ट्रॉलर माफिया का कब्जा" शामिल हैं।

मौलाना रहमान ने चेतावनी दी कि यदि ग्वादर के नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, साफ पीने का पानी, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार नहीं दिए गए, तो ग्वादर बंदरगाह को औपचारिक रूप से चालू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “अगर जनता की समस्याएं नहीं सुलझाई गईं, तो सरकार को हमारे शवों को पार करना पड़ेगा।”

प्रदर्शनकारियों की मांगों में लापता व्यक्तियों की बरामदगी, सुनसान इलाकों में लाशें फेंकने की घटनाओं पर रोक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रिहाई और बलूचिस्तान के लोगों को उनके प्राकृतिक संसाधनों और समुद्री संपत्तियों पर पूर्ण अधिकार देना शामिल है।

उन्होंने बलूचिस्तान सरकार पर जनता का प्रतिनिधित्व करने में असफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि विधानसभा में पारित प्रस्तावों का कोई वास्तविक महत्व नहीं है।

रहमान ने यह भी कहा कि यदि छह महीनों में कोई ठोस प्रगति नहीं होती है, तो राजनीतिक और व्यापारिक संगठनों के साथ भविष्य की रणनीति तय की जाएगी।

उन्होंने सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि शांति बनाए रखने के लिए 80 अरब पाकिस्तानी रुपये आवंटित किए गए हैं, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं दिख रहा। उन्होंने कहा, “यह पैसा स्नैक्स खाने के लिए नहीं, जिम्मेदारियां निभाने के लिए है, जिसमें वे नाकाम रहे हैं।”

उन्होंने अंत में कहा कि वह बलूचिस्तान के अधिकारों के लिए आवाज उठाना जारी रखेंगे।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम बलूचिस्तान की समस्याओं पर ध्यान दें। यहाँ की जनता अपनी आवाज उठाने के लिए मजबूर है। हमें उनके मुद्दों को गंभीरता से लेना चाहिए और सरकार को उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। यह एक राष्ट्रीय चिंतन का विषय है।
NationPress
08/08/2025

Frequently Asked Questions

बलूचिस्तान में प्रदर्शन क्यों हो रहा है?
बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगियों और कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है।
जमात-ए-इस्लामी बलूचिस्तान ने क्या चेतावनी दी है?
उन्होंने सरकार को छह महीने का अल्टीमेटम दिया है, अन्यथा विरोध मार्च किया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें क्या हैं?
लापता व्यक्तियों की बरामदगी, राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रिहाई, और प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार।
क्या सरकार ने सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाए हैं?
सरकार ने शांति बनाए रखने के लिए 80 अरब रुपये आवंटित किए हैं, लेकिन इसका प्रभाव नहीं दिख रहा।
ग्वादर के नागरिकों की मांगें क्या हैं?
ग्वादर के नागरिकों को बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार की जरूरत है।