क्या बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद जमात बीएनपी के लिए 'खतरा' बन गया है?

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क्या बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद जमात बीएनपी के लिए 'खतरा' बन गया है?

सारांश

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बीएनपी और जमात के बीच बढ़ते टकराव ने लोकतंत्र और धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। क्या ये राजनीतिक हलचलें देश की सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करेंगी?

Key Takeaways

  • बीएनपी और जमात के बीच बढ़ता टकराव
  • शेख हसीना सरकार का पतन
  • कट्टरपंथी ताकतों का उदय
  • लोकतंत्र और सांस्कृतिक विविधता का संकट
  • राजनीतिक साजिशों की आशंका

ढाका, १५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए व्यापक विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप शेख हसीना सरकार का सत्ता से हटना पूरी दुनिया में देश की लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए एक बड़ा झटका माना गया।

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी ने मिलकर शेख हसीना को हटाने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन किया था, लेकिन अब दोनों दलों में टकराव उत्पन्न हो गया है।

आसानी से यह समझा जा सकता है कि ये दल पहले शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग की सरकार को उखाड़ने के लिए एकजुट हुए थे, लेकिन अब आपस में संघर्ष कर रहे हैं।

अब यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को कट्टरपंथी और अतिवादी इस्लामी समूहों को समर्थन देने के लिए कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

इस बीच, बीएनपी ने देश में 'खतरनाक ताकतों' के उदय पर गहरी चिंता व्यक्त की है और चेतावनी दी है कि ये ताकतें लोकतंत्र, धार्मिक स्वतंत्रता, और सांस्कृतिक विविधता के लिए गंभीर खतरा बन सकती हैं। यह जानकारी स्थानीय मीडिया ने सोमवार को प्रकाशित की।

ढाका में रविवार को बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव एडवोकेट रूहुल कबीर रिजवी ने डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ बांग्लादेश के कार्यक्रम में कहा कि पिछले साल के विरोध प्रदर्शनों में शामिल कई लोग अब देश में नए सांस्कृतिक प्रभुत्व की स्थापना का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी पर इस्लाम के नाम पर अपने संस्थापक सैयद अबुल अला मौदूदी की विचारधारा को फैलाने और देशवासियों की धार्मिक भावनाओं का शोषण करने का आरोप लगाया।

यह टिप्पणी जमात के महासचिव मिया गुलाम पोरवार द्वारा हाल ही में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में संगीत और नृत्य शिक्षकों की भर्ती रद्द करने और छात्रों में नैतिक मूल्यों के संचार के लिए धार्मिक शिक्षकों की नियुक्ति का आह्वान करने के बाद आई है।

बांग्लादेश के प्रमुख बंगाली दैनिक 'जुगांतर' ने बीएनपी नेता के हवाले से कहा, "यहां लोग दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं, टीवी पर नाटक देखते हैं, और संगीत सुनते हैं। यही हमारी सांस्कृतिक सच्चाई है; जब आप सब कुछ एकतरफा कर देंगे, तो फासीवाद पनपेगा और इसका परिणाम कट्टर सांप्रदायिकता और कट्टर धार्मिक राजनीति की वृद्धि होगी।"

रिजवी ने ढाका विश्वविद्यालय और जहांगीरनगर विश्वविद्यालय के हालिया छात्रसंघ चुनावों की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए, जहां जमात की छात्र शाखा 'इस्लामी छात्र शिबिर' ने प्रमुख पदों पर जीत हासिल की।

उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रवादी ताकतों का सफाया करने के लिए एक छिपा हुआ एजेंडा काम कर रहा हो सकता है।

बीएनपी नेता ने कहा, "क्या राज्य और विश्वविद्यालय प्रशासन के भीतर राष्ट्रवादी ताकतों को समाप्त करने के लिए कोई गहरी साजिश की जा रही है? यह आज लोगों के लिए चिंता का विषय है। ढाका विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्रसंघ (डीयूसीएसयू) और जेएसीएसयू चुनावों के मतपत्र एक निजी स्वामित्व वाली कंपनी ने छापे थे, जिसके मालिक का एक खास राजनीतिक दल से निकट संबंध है। क्या यह एक अनियमितता नहीं है?"

रिजवी ने कहा, "राज्य और विश्वविद्यालय प्रशासन मिलकर एक मास्टर प्लान लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि हमने अवामी लीग को खदेड़ दिया है, अब हमें बीएनपी को भी हराना है। क्या यह उनकी गहरी योजना का हिस्सा नहीं है? अगर एकतरफा कुछ हुआ, तो समाज में एक नए प्रकार का फासीवाद उत्पन्न होगा, जो राष्ट्रीय चेतना को नष्ट कर देगा।"

Point of View

धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता के लिए चिंताजनक है। एक राष्ट्रीय संपादक के रूप में, हमें इस संकट का समाधान खोजने के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।
NationPress
15/09/2025

Frequently Asked Questions

बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिति क्या है?
बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण है, जहां बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के बीच टकराव बढ़ रहा है।
बीएनपी और जमात की राजनीतिक स्थिति का क्या प्रभाव पड़ेगा?
बीएनपी और जमात के बीच टकराव का प्रभाव देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सामाजिक ताने-बाने पर पड़ सकता है।