क्या बांग्लादेश चुनाव में छात्र-नेतृत्व वाली एनसीपी का जमात की ओर झुकाव है?

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क्या बांग्लादेश चुनाव में छात्र-नेतृत्व वाली एनसीपी का जमात की ओर झुकाव है?

सारांश

बांग्लादेश में आम चुनाव नजदीक है, एनसीपी में गठबंधन को लेकर घमासान जारी है। क्या यह छात्र राजनीति के मूल सिद्धांतों को चुनौती दे रहा है?

Key Takeaways

  • शिक्षा की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • गठबंधन के कारण नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं।
  • युवा नेता की आवाज का महत्व बढ़ रहा है।
  • आगामी चुनाव में एनसीपी का भविष्य अनिश्चित है।
  • जमात की भूमिका पर ध्यान देना होगा।

ढाका, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में आम चुनाव के नजदीक आते ही छात्र-नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के भीतर गठबंधन को लेकर गहरा मतभेद उभर आया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पार्टी जमात-ए-इस्लामी के साथ संभावित सीट-बंटवारे की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है।

एनसीपी का गठन 2024 में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ हुए छात्र आंदोलनों से हुआ था। इन आंदोलनों के बाद मोहम्मद यूनुस अंतरिम प्रशासन के प्रमुख बने और एनसीपी को उनके संरक्षण में माना जाता है। हालांकि, चुनावी तैयारियों के बीच पार्टी को मजबूत जमीनी आधार खड़ा करने में दिक्कतें आ रही हैं।

शुरुआत में एनसीपी को बांग्लादेश की पारंपरिक राजनीति- बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी से अलग एक तीसरी ताकत के रूप में देखा गया था। इस बीच, वर्षों तक सत्ता में रही अवामी लीग पर अंतरिम सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है।

सोशल मीडिया पर अच्छी मौजूदगी के बावजूद, एनसीपी डिजिटल लोकप्रियता को जमीनी समर्थन में बदलने में नाकाम रही है। इसी कारण पार्टी अब या तो बीएनपी या जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन की संभावनाएं टटोल रही है। इस कवायद ने पार्टी के भीतर इस्तीफों, गुटबाजी और तनावपूर्ण बातचीत को जन्म दिया है।

ढाका स्थित दैनिक प्रथम आलो के अनुसार, 350 सदस्यीय संसद में बड़ी संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने की महत्वाकांक्षा छोड़ते हुए एनसीपी जमात के साथ गठबंधन में करीब 30 सीटों पर संतोष करने को तैयार दिखाई दे रही है। चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों में बीएनपी को स्पष्ट बढ़त और जमात को उसके पीछे बताया जा रहा है, जिससे एनसीपी की दुविधा और बढ़ गई है।

पार्टी के भीतर दो धड़े उभर आए हैं- एक जमात-ए-इस्लामी से गठबंधन का समर्थक, दूसरा बीएनपी से बातचीत के पक्ष में, खासकर बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारीक रहमान की बांग्लादेश वापसी के बाद। इस खींचतान के बीच, जमात-विरोधी धड़े के प्रमुख नेता मीर अरशादुल हक ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया। वे एनसीपी के संयुक्त सदस्य सचिव और चटगांव सिटी इकाई के मुख्य समन्वयक थे, जैसा कि द डेली स्टार ने बताया।

विवाद को और हवा देने वाली खबरों में आरोप है कि जमात-ए-इस्लामी गठबंधन सहयोगी के तौर पर एनसीपी को प्रति निर्वाचन क्षेत्र 1.5 करोड़ टका तक की पेशकश कर सकती है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एक छात्र नेता ने कहा, “युवा राजनीति की कब्र खोदी जा रही है।”

प्रथम आलो के मुताबिक, आगामी संसदीय चुनाव के लिए एनसीपी और जमात-ए-इस्लामी के बीच सीट-बंटवारे पर बातचीत जारी है। जहां एनसीपी नेतृत्व का एक वर्ग इसे राजनीतिक अस्तित्व के लिए जरूरी मानता है, वहीं दूसरा इसे पार्टी के मूल सिद्धांतों से विचलन बताता है।

बताया जा रहा है कि बीएनपी से शुरुआती बातचीत विफल रहने के बाद जमात के साथ वार्ता तेज हुई, हालांकि तारीक रहमान की वापसी के बाद एनसीपी ने बीएनपी से संपर्क फिर शुरू किया है। अगस्त 2024 से मोहम्मद यूनुस का समर्थन कर रही जमात-ए-इस्लामी ने अब तक अपने रुख को सार्वजनिक नहीं किया है। हालांकि, जमात अमीर शफीकुर रहमान ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी से वही दल चुनावी गठबंधन कर सकता है, जो उसकी तीन शर्तों से सहमत हो।

गौरतलब है कि एनसीपी को औपचारिक रूप से फरवरी 2025 में उन छात्र नेताओं ने लॉन्च किया था, जिन्होंने 2024 के विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था, जिनके चलते पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी।

Point of View

हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि बांग्लादेश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में छात्र-नेतृत्व वाली एनसीपी का स्थिति महत्वपूर्ण है। यह युवा राजनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
NationPress
27/12/2025

Frequently Asked Questions

बांग्लादेश की एनसीपी का गठन कब हुआ?
एनसीपी का गठन 2024 में छात्र आंदोलनों के दौरान हुआ था।
एनसीपी और जमात के बीच गठबंधन की संभावनाएं क्या हैं?
एनसीपी जमात के साथ संभावित सीट-बंटवारे की ओर बढ़ रही है।
क्या एनसीपी ने बीएनपी से संपर्क किया है?
हाँ, एनसीपी ने बीएनपी से संपर्क फिर से शुरू किया है।
जमात ए-इस्लामी की प्रमुख शर्तें क्या हैं?
जमात से चुनावी गठबंधन के लिए तीन शर्तों का पालन करना होगा।
एनसीपी के भीतर कौन से धड़े उभरे हैं?
एक धड़ा जमात से गठबंधन का समर्थक है और दूसरा बीएनपी से बातचीत के पक्ष में है।
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