क्या बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच लोकतंत्र को प्रभावित कर रही है?
सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघन की बढ़ती घटनाएं।
- राजनीतिक इस्लाम के प्रभाव से संवैधानिक दृष्टिकोण का पतन।
- अवामी लीग के आतंकवाद विरोधी अभियान का महत्व।
- अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की भूमिका पर सवाल।
- बांग्लादेश के लोकतंत्र के भविष्य के लिए चिंताएँ।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रेड लैंटर्न एनालिटिका ने यूएन मानवाधिकार दिवस 2025 के अवसर पर "लोकतंत्र और असहमति: बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच" शीर्षक से एक उच्च-स्तरीय वेबिनार का आयोजन किया।
इस सत्र में बांग्लादेश के बढ़ते राजनीतिक संकट, मानवाधिकार उल्लंघनों की गंभीरता और दक्षिण एशिया में लोकतंत्र पर इसके प्रभावों की गहन चर्चा के लिए प्रमुख कानूनी विशेषज्ञ, मानवाधिकार कार्यकर्ता, विद्वान और राजनीतिक टिप्पणीकार आमंत्रित किए गए। मुख्य वक्ताओं में बैरिस्टर मोहिबुल हसन चौधरी नौफेल, बैरिस्टर मसूद अख्तर और डॉ. नूरान नबी शामिल थे।
बैरिस्टर नौफेल ने 1971 के मुक्ति संग्राम की वैचारिक नींव को याद करते हुए बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति को संदर्भित किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का निर्माण पाकिस्तान के धर्म-आधारित राष्ट्रवाद का विरोध करके किया गया था और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान ने एक धर्मनिरपेक्ष, बहुलवादी गणराज्य की कल्पना की थी।
1975 में बंगबंधु की हत्या के बाद यह संवैधानिक दृष्टिकोण प्रभावित हुआ, क्योंकि सैन्य सरकारों ने राजनीतिक इस्लाम को पुनः लागू किया, जिससे कट्टरपंथी नेटवर्क मजबूत हुए। उन्होंने कहा कि सार्थक परिवर्तन 2009 के बाद ही आया, जब अवामी लीग ने आतंकवाद के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाए और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ संबंधों को मजबूत किया। नौफेल ने अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की आलोचना की कि वे अक्सर पीड़ितों के लिए न्याय की अनदेखी करते हैं।
बैरिस्टर मसूद अख्तर ने वर्तमान कानूनी और मानवाधिकार स्थिति के पतन पर चर्चा की और मौजूदा प्रशासन को एक "गैर-राजनीतिक अंतरिम संस्था" बताया। उन्होंने मनमानी गिरफ्तारियों, जबरन गायब होने, हिरासत में यातना, मीडिया सेंसरशिप और राजनीतिक गतिविधियों के दमन का विस्तार से वर्णन किया।
स्वतंत्रता सेनानी डॉ. नूरान नबी ने बांग्लादेश के संस्थापक मूल्यों जैसे धर्मनिरपेक्षता और समावेशी विकास के साथ समझौता हो रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि चरमपंथी संगठन फिर से उभर रहे हैं और राष्ट्रीय संप्रभुता को खतरा है।
वेबिनार का समापन अंतरराष्ट्रीय जांच और लोकतांत्रिक शासन बहाल करने के लिए समर्थन की संयुक्त अपील के साथ हुआ। आरएलए ने उल्लंघनों का दस्तावेजीकरण करने और बांग्लादेश के संकट पर तथ्यों पर आधारित विश्लेषण को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।