क्या सीबीआई ने बैंक धोखाधड़ी मामले में घोषित अपराधी को गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने बबलू उर्फ रवींद्र यादव को गिरफ्तार किया।
- बैंक धोखाधड़ी में १.१८ करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप।
- अदालत ने अन्य आरोपियों को ५ साल की सजा दी।
- बबलू को भगोड़ा घोषित किया गया था।
- यह गिरफ्तारी वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कदम का संकेत है।
बुलंदशहर, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को एक घोषित अपराधी बबलू उर्फ रवींद्र यादव को गिरफ्तार किया। यह अपराधी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के गुलावठी क्षेत्र से पकड़ा गया।
सीबीआई ने ५ दिसंबर २०११ को भारतीय स्टेट बैंक की मेरठ शाखा के सहायक महाप्रबंधक की लिखित शिकायत पर बैंक धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि पंजाब नेशनल बैंक की सिकंदराबाद शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक नवल किशोर गुप्ता और अन्य व्यक्तियों ने वर्ष २०११ में फर्जी मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड और रेंट एग्रीमेंट पेश कर एक फर्जी करंट खाता के माध्यम से १.१८ करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की।
इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ने ३० अगस्त २०१३ को पंजाब नेशनल बैंक की सिकंदराबाद शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक नवल किशोर गुप्ता, पीएनबी की सिकंदराबाद शाखा के सुरक्षा गार्ड देवराज, प्राइवेट व्यक्ति बबलू उर्फ रवींद्र यादव और मनोज के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। अन्य आरोपियों के साथ बबलू उर्फ रवींद्र यादव भी इस धोखाधड़ी मामले में शामिल था।
अदालत ने २० दिसंबर २०२३ को आरोपी बबलू उर्फ रवींद्र यादव को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुआ, जिसके बाद उसे उसी दिन भगोड़ा घोषित कर दिया गया। इसके बाद कोर्ट ने उसके खिलाफ स्थायी वारंट जारी किया। इस मामले में अदालत ने अन्य आरोपियों नवल किशोर गुप्ता, देवराज और मनोज को दोषी ठहराया और प्रत्येक को ५ साल के कारावास की सजा सुनाई।
स्थायी वारंट के अनुपालन में सीबीआई, एसीबी, गाजियाबाद की टीम आरोपी बबलू उर्फ रवींद्र यादव की तलाश में लगातार प्रयास कर रही थी और अंततः आज उसे गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद उसे अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।