क्या बांका विधानसभा सीट कभी था कांग्रेस का मजबूत गढ़, अब क्षेत्र में भाजपा का दबदबा?

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क्या बांका विधानसभा सीट कभी था कांग्रेस का मजबूत गढ़, अब क्षेत्र में भाजपा का दबदबा?

सारांश

बांका विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास और वर्तमान स्थिति पर गहराई से नजर। क्या भाजपा का दबदबा कायम रहेगा या कांग्रेस वापसी करेगी? जानें सभी महत्वपूर्ण पहलू।

Key Takeaways

  • बांका विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास महत्वपूर्ण है।
  • इस क्षेत्र में भाजपा और राजद का प्रभुत्व कायम है।
  • कांग्रेस को वापसी के लिए चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
  • जातिगत समीकरणों का चुनावी परिणाम पर गहरा प्रभाव है।
  • इस बार चुनाव में कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं।

पटना, 25 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के दक्षिण-पूर्वी सिरे पर स्थित बांका विधानसभा सीट बांका लोकसभा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें बांका शहर, आसपास का ग्रामीण क्षेत्र और बाराहाट प्रखंड शामिल है। यह क्षेत्र झारखंड की सीमा के निकट होने के कारण भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से झारखंड से मेल खाता है। यहां का दक्षिणी हिस्सा पहाड़ी और ऊबड़-खाबड़ है, जबकि उत्तर में समतल भूमि फैली हुई है। यहां से बहने वाली चानन नदी आगे चलकर गंगा नदी में मिल जाती है।

बांका को फरवरी 1991 में भागलपुर से अलग कर एक स्वतंत्र जिला बनाया गया था। परंपरागत रूप से यह एक व्यावसायिक केंद्र रहा है, लेकिन वर्तमान में इसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। जिले में मंदार पर्वत स्थित है, जिसे पौराणिक ‘समुद्र मंथन’ से जोड़ा जाता है। इसके साथ ही, काली मंदिर (बधानियां) और तारा मंदिर (बाबूटोला ओढ़नी तट) स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के बीच प्रसिद्ध हैं।

बांका विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और अब तक यहां 20 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें चार उपचुनाव भी शामिल हैं। राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो भाजपा (जिसमें भारतीय जनसंघ की जीत भी शामिल है) ने आठ बार, कांग्रेस ने सात बार और राजद ने दो बार इस सीट पर जीत हासिल की है। इसके अलावा, स्वतंत्र पार्टी और जनता पार्टी ने एक-एक बार सफलता पाई है।

स्वतंत्रता के बाद शुरुआती सालों में कांग्रेस का प्रभुत्व रहा, लेकिन 1985 के बाद से पार्टी इस सीट पर जीत नहीं दर्ज कर सकी। पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह ही कांग्रेस के अंतिम विजेता रहे। इसके बाद से भाजपा और राजद का ही प्रभुत्व रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामनारायण मंडल ने राजद के जावेद इकबाल अंसारी को हराकर लगातार तीसरी बार जीत हासिल की थी।

जातिगत समीकरणों के संदर्भ में मुस्लिम और यादव मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही राजपूत, कोइरी और रविदास मतदाता भी अच्छी संख्या में मौजूद हैं।

इस बार विधानसभा चुनाव में कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा ने रामनारायण मंडल को उम्मीदवार बनाया है। जन स्वराज पार्टी ने कौशल कुमार सिंह को और सीपीआई ने संजय सिंह को मैदान में उतारा है।

Point of View

जबकि कांग्रेस को अपनी खोई हुई स्थिति को पुनः प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यह चुनाव क्षेत्र की भविष्य की राजनीतिक दिशाओं को निर्धारित करेगा।
NationPress
25/10/2025

Frequently Asked Questions

बांका विधानसभा क्षेत्र कब स्थापित हुआ था?
बांका विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी।
बांका विधानसभा क्षेत्र में कितने विधानसभा चुनाव हुए हैं?
अब तक यहां 20 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें चार उपचुनाव भी शामिल हैं।
इस बार चुनाव में कौन-कौन से प्रमुख उम्मीदवार हैं?
भाजपा ने रामनारायण मंडल, जन स्वराज पार्टी ने कौशल कुमार सिंह और सीपीआई ने संजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है।
इस क्षेत्र में निर्णायक मतदाता कौन हैं?
मुस्लिम और यादव मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
बांका का मुख्य आर्थिक आधार क्या है?
बांका की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है।