क्या बर्खास्त कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने रोक लगाई?

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क्या बर्खास्त कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने रोक लगाई?

सारांश

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के बर्खास्त कर्मचारियों को भत्ते देने के निर्णय पर रोक लगा दी है, जिससे ममता सरकार को बड़ा झटका लगा है। इस फैसले ने राजनीतिक बहस को और बढ़ा दिया है। क्या यह निर्णय राज्य की नीति में सुधार लाएगा या नहीं? जानिए इस लेख में।

Key Takeaways

  • हाईकोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारियों को भत्ते पर रोक लगाई।
  • राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए।
  • भाजपा ने इस निर्णय को सही बताया।

कोलकाता, 20 जून (राष्ट्र प्रेस)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। राज्य में ममता सरकार ने बेरोजगार ग्रेड सी और डी कर्मचारियों को आर्थिक सहायता के रूप में भत्ता देने का निर्णय लिया था। हाईकोर्ट ने इस निर्णय पर फिलहाल अंतरिम रोक लगा दी है। भाजपा ने इस निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार पिछले 11 वर्षों से बिना किसी उचित नीति, नियुक्ति या व्यवस्था के काम कर रही है।

ग्रुप सी और ग्रुप डी के बर्खास्त कर्मचारियों को क्रमशः 25 हजार रुपये और 20 हजार रुपये भत्ता देने का निर्णय लिया गया था। इस निर्णय का विरोध करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता वे उम्मीदवार थे, जो 2016 की भर्ती प्रक्रिया के दौरान प्रतीक्षा सूची में थे। उनका तर्क था कि अगर राज्य भत्ता दे रहा है तो यह सभी को मिलना चाहिए। भ्रष्ट तरीकों से नौकरी हासिल करने वाले और बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण नौकरी गंवाने वालों को भत्ते देना वास्तव में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के समान है।

उन्होंने राज्य के निर्णय को गैरकानूनी बताया। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस अमृता सिन्हा ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को जस्टिस अमृता सिन्हा की अदालत ने राज्य के निर्णय पर अंतरिम रोक लगा दी, जो 26 सितंबर तक प्रभावी रहेगी।

हाईकोर्ट के फैसले पर भाजपा ने कहा कि बर्खास्त कर्मचारियों को भत्ता देने का राज्य सरकार का निर्णय गैरकानूनी था। अदालत ने जो फैसला दिया है, वह बिल्कुल सही है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "पश्चिम बंगाल सरकार इन 11 वर्षों में बिना किसी उचित नीति, नियुक्ति या व्यवस्था के लगातार काम कर रही है। कोई वित्तीय नियम या विनियमन नहीं है और एक व्यक्ति वित्तीय अनुशासनहीनता के साथ मनमाने ढंग से काम कर रहा है। इसलिए अदालत की ओर से जारी अंतरिम आदेश और प्राथमिक अंतरिम रोक कानूनी रूप से इस वित्तीय अनुशासनहीनता को उजागर करती है।"

Point of View

NationPress
14/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या बर्खास्त कर्मचारियों को भत्ता मिलना चाहिए?
यह एक विवादास्पद मुद्दा है, लेकिन यदि सरकार भत्ता दे रही है, तो यह सभी को समान रूप से मिलना चाहिए।
हाईकोर्ट का यह फैसला क्यों आया?
हाईकोर्ट ने इस लिए रोक लगाई क्योंकि यह निर्णय गैरकानूनी और मनमाना समझा गया।
भाजपा का इस पर क्या कहना है?
भाजपा ने इस निर्णय को सही ठहराया है और इसे पश्चिम बंगाल सरकार की नीतियों की कमी बताया है।
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