क्या बस्तर ओलंपिक ने पूर्व नक्सलियों के जीवन में बदलाव लाया?

Click to start listening
क्या बस्तर ओलंपिक ने पूर्व नक्सलियों के जीवन में बदलाव लाया?

सारांश

बस्तर ओलंपिक 2025 का आयोजन छत्तीसगढ़ में हुआ, जहाँ पूर्व नक्सलियों ने नए जीवन की शुरुआत की। इस खेल महोत्सव ने उन्हें पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण का एक नया रास्ता दिखाया। क्या यह आयोजन वास्तव में उनके लिए जीवन में बदलाव लाने में मददगार साबित हुआ?

Key Takeaways

  • बस्तर ओलंपिक 2025 ने पूर्व नक्सलियों को खेलों के माध्यम से नया जीवन दिया है।
  • यह आयोजन नक्सल हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन रहा है।
  • सरकार की ओर से दिए गए समर्थन से पूर्व नक्सलियों का आत्मविश्वास बढ़ा है।
  • खेलों के माध्यम से सामाजिक एकीकरण की प्रक्रिया को मजबूती मिल रही है।
  • बस्तर ओलंपिक का उद्देश्य शांति और विकास का संदेश फैलाना है।

जगदलपुर, १३ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में आयोजित बस्तर ओलंपिक 2025 के समापन समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आगमन की तैयारियां जोरों पर हैं। यह बस्तर ओलंपिक का दूसरा संस्करण है, जिसमें इस बार कुल ७६१ खिलाड़ी शामिल हुए हैं, जो नक्सल हिंसा से प्रभावित रहे हैं या जिन्होंने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में कदम रखा है।

खेलों के माध्यम से पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण की यह पहल बस्तर क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन के रूप में देखी जा रही है।

बस्तर ओलंपिक में भाग लेने वाले सरेंडर किए गए नक्सली सुकलाल ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि मुख्यधारा से जुड़ने के बाद खेलों में भाग लेना उनके लिए एक अद्भुत अनुभव है। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से अब सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। लगभग २० वर्षों तक नक्सल संगठन में रहने के दौरान उनके हाथों में केवल बंदूक थी, लेकिन आत्मसमर्पण के बाद अब उनके हाथों में हॉकी और बैडमिंटन जैसे खेल उपकरण हैं। पुनर्वास से जुड़े सभी पूर्व नक्सली खिलाड़ियों के चेहरे पर खुशी और आत्मविश्वास झलक रहा है।

सुकलाल ने कहा कि वे अबूझमाड़ नामक संगठन से जुड़े थे, जहां वे डीबीसीएम के रूप में डॉक्टर का काम करते थे और 'डॉक्टर सुकलाल' के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने २० अगस्त २०२५ को पुलिस अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण किया था। मुख्यधारा में लौटने के बाद उन्हें अपने जीवन में बड़ा बदलाव महसूस हो रहा है।

जंगल और शहरी जीवन के बीच के अंतर को बताते हुए उन्होंने कहा कि बस्तर ओलंपिक 2025 में भाग लेना उनके लिए बहुत सुखद अनुभव है। वे वॉलीबॉल प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं और अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हैं। जीत-हार को अलग रखते हुए उन्होंने कहा कि पहले बंदूक लेकर जंगलों और पहाड़ों में भटकना पड़ता था, लेकिन अब खेल के मैदान में आना उनके लिए और उनके साथियों के लिए एक नई शुरुआत है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने को लेकर भी उन्होंने खुशी जताई।

२५ जुलाई २०२० को आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली गंगा वट्टी ने बताया कि वे १९४६ से नक्सल संगठन से जुड़े थे और उस समय सामाजिक जुड़ाव काफी कम था। बस्तर ओलंपिक से जुड़ना उन्हें खुशी दे रहा है और उनका चयन परेड के लिए हुआ है। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी ने भी आत्मसमर्पण किया है और इस खेल आयोजन में भाग ले रही हैं। गंगा वट्टी ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को उन्होंने केवल तस्वीरों में देखा है, लेकिन इस आयोजन के जरिए उन्हें आमने-सामने देखने का अवसर मिलेगा।

नक्सल हिंसा से प्रभावित एक किसान ने बताया कि प्रेशर आईईडी की चपेट में आने के कारण उनका पैर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे उन्हें एक अंग खोना पड़ा और अब वे कृत्रिम अंग के सहारे जीवन जी रहे हैं। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से अपील की है कि बस्तर को पूरी तरह नक्सल मुक्त बनाया जाए, ताकि यहां के युवा पढ़-लिखकर आगे बढ़ सकें और एक सुरक्षित तथा उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकें। बस्तर ओलंपिक का यह आयोजन खेल के साथ-साथ शांति, पुनर्वास और विकास का संदेश दे रहा है।

Point of View

बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल भी है। यह आयोजन हमें यह दर्शाता है कि कैसे खेल एक सशक्तिकरण का माध्यम बन सकता है। हमें इस दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है ताकि हम एक समर्पित और सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकें।
NationPress
13/12/2025

Frequently Asked Questions

बस्तर ओलंपिक का उद्देश्य क्या है?
बस्तर ओलंपिक का उद्देश्य नक्सल हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण को बढ़ावा देना है।
इस बार कितने खिलाड़ियों ने भाग लिया?
इस बार कुल 761 खिलाड़ियों ने बस्तर ओलंपिक में भाग लिया है।
किसी पूर्व नक्सली का अनुभव क्या है?
सुकलाल ने बताया कि उन्होंने 20 साल तक नक्सल संगठन में रहने के बाद अब हॉकी और बैडमिंटन जैसे खेल उपकरण अपने हाथों में लिए हैं।
क्या बस्तर ओलंपिक से सामाजिक बदलाव हो रहा है?
हां, बस्तर ओलंपिक के माध्यम से पूर्व नक्सलियों को नई दिशा मिल रही है और वे समाज में फिर से शामिल हो रहे हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री का इस आयोजन में क्या योगदान है?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का इस आयोजन में आना पूर्व नक्सलियों के लिए प्रेरणा स्रोत है और उन्हें समर्थन देने का संकेत है।
Nation Press