क्या कुछ लोगों का 'विदेशी डीएनए' वंदे मातरम पर चर्चा से रोक रहा है: टीडीपी सांसद शबरी?

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क्या कुछ लोगों का 'विदेशी डीएनए' वंदे मातरम पर चर्चा से रोक रहा है: टीडीपी सांसद शबरी?

सारांश

तेलुगु देशम पार्टी की सांसद बायरेड्डी शबरी ने वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया। उन्होंने 'विदेशी डीएनए' को बहस में शामिल होने से रोकने का कारण बताया।

Key Takeaways

  • वंदे मातरम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक है।
  • बायरेड्डी शबरी ने विदेशी डीएनए की बात की।
  • महान स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली/अमरावती, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की सांसद बायरेड्डी शबरी ने सोमवार को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा की अनुपस्थिति पर तंज कसा।

बायरेड्डी शबरी ने बहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि 'विदेशी डीएनए' शायद कुछ नेताओं को इतनी महत्वपूर्ण चर्चा में शामिल होने से रोक रहा है।

उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का नाम लिए बिना कहा कि मातृभूमि के लिए उठने की बात की जाती है, लेकिन कुछ लोग इसे नहीं कर पा रहे हैं। शायद उनका विदेशी डीएनए ही उन्हें प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान सत्र में उपस्थित होने से रोकता है, यहां तक कि इतनी महत्वपूर्ण चर्चा में भाग लेने से भी।

बायरेड्डी शबरी ने बताया कि वंदे मातरम अक्षय नवमी के शुभ दिन लिखा गया था और तब से यह हमारे देश का अमर गीत बन गया है। यह गीत साहस और आशा का प्रतीक है। यह भारतीयों की सामूहिक चेतना की अनगिनत यादों का प्रतिनिधित्व करता है।

उन्होंने कहा कि 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने कांग्रेस अधिवेशन में यह गीत गाया था और 1905 में बंगाल विभाजन के समय हजारों लोगों ने वंदे मातरम के नारे के साथ मार्च किया था। यही वह समय था जब यह भारत की राजनीतिक रक्तधारा में शामिल हुआ।

उन्होंने कहा कि महान लोगों के योगदान को नहीं भूला जाना चाहिए। जैसे कि भीकाजी कामा, जिन्होंने विदेश में वंदे मातरम लिखकर तिरंगा फहराया। मदान लाल ढींगरा ने फांसी की ओर बढ़ते हुए अपना अंतिम शब्द वंदे मातरम कहा।

टीडीपी सांसद ने कहा कि आंध्र प्रदेश का एक छोटा सा गांव, पेद्दाकरयापल्ली, स्वराज प्राप्त करने वाला पहला गांव था और इसने ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख दिया था। वंदे मातरम ने न केवल स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया, बल्कि उसे आकार भी दिया।

हम सभी बचपन से इतिहास पढ़ते हैं। मुझे यकीन है कि हर कोई वॉरेन हेस्टिंग्स से परिचित है। उन्होंने कहा था कि साधुओं और सन्यासियों द्वारा विनाश होने वाला है।

बायरेड्डी शबरी ने कहा कि मैकाले मानसिकता ने महानतम लोगों को इतिहास से हटा दिया है।

उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के रहने वाले पिंगली वेंकैया का योगदान भी इतिहास से हटा दिया गया।

बायरेड्डी शबरी ने कहा कि लोग धर्म, जाति, पंथ और लिंग की परवाह किए बिना गर्व और उत्साह के साथ वंदे मातरम गाते हैं।

उन्होंने वंदे मातरम के दिव्य शब्दों को हटाने पर पश्चिम बंगाल की चुप्पी पर सवाल उठाया।

बायरेड्डी शबरी ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इस गीत को गर्व के साथ गाया था।

उन्होंने कहा कि भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को राष्ट्रगान के समान सम्मान दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, "हमारे हर हिंदू और मुसलमान ने इस बयान की सराहना की। मैं वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करती हूं। यह यात्रा न केवल हमारे देश को दर्शाती है, बल्कि हमारे पूर्वजों के साहस और बलिदान को भी।"

Point of View

वे देश की राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी हैं। हमें इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि कैसे हम अपने इतिहास और संस्कृति को संजो सकते हैं।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

वंदे मातरम का इतिहास क्या है?
वंदे मातरम 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा गाया गया था और यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
बायरेड्डी शबरी ने किस मुद्दे पर बात की?
उन्होंने वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा करते हुए कुछ नेताओं की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया।
क्या वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत माना जाना चाहिए?
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसे राष्ट्रगान के समान सम्मान देने की बात कही थी।
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