क्या बंगाल में फर्जी पासपोर्ट मामले में ईडी ने पहली पूरक चार्जशीट दाखिल की?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने फर्जी पासपोर्ट मामले में चार्जशीट दाखिल की है।
- जांच में पाकिस्तानी नागरिक का नाम शामिल है।
- अवैध पहचान दस्तावेज बनाने की संभावना है।
- जांच में हवाला नेटवर्क का पता चला है।
- ईडी ने अन्य मामलों में भी संपत्तियाँ जब्त की हैं।
कोलकाता, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा फर्जी पासपोर्ट मामले में पहली पूरक चार्जशीट प्रस्तुत की गई है, जिसमें इंदुभूषण हलदार सहित पाँच आरोपियों के नाम शामिल हैं।
ईडी ने बताया कि यह चार्जशीट 11 दिसंबर को कोलकाता स्थित बिचार भवन के विशेष पीएमएलए कोर्ट में पेश की गई। अदालत ने इस मामले में सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर दिए हैं।
इस मामले की जांच की शुरुआत पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा अजाद मलिक के खिलाफ दर्ज एफआईआर के बाद हुई थी। ईडी की जांच में पता चला कि पाकिस्तान का नागरिक अजाद हुसैन भारत में अजाद मलिक के नाम और पहचान के साथ रह रहा था, जो खुद को मोना मलिक का बेटा बताता था।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि हुसैन ने इंदुभूषण हलदार के साथ मिलकर बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों के लिए फर्जी तरीके से भारतीय पहचान दस्तावेज बनवाए। इसके बदले में मोटी रकम वसूली जाती थी। अजाद मलिक और हलदार उर्फ दुलाल को गिरफ्तार किया जा चुका है और दोनों न्यायिक हिरासत में हैं।
तलाशी के दौरान ईडी ने मलिक के ठिकानों से कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए। जांच में पाया गया कि मलिक ने फर्जी विवरण और सहयोगियों की मदद से आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट सहित कई भारतीय पहचान दस्तावेज हासिल किए थे।
ईडी ने यह भी खुलासा किया कि मलिक एक हवाला नेटवर्क चला रहा था, जिसके जरिए भारत और बांग्लादेश के बीच अवैध धन हस्तांतरण किया जाता था। इस नेटवर्क में नकद और यूपीआई के माध्यम से लेनदेन कर बाद में रकम को बीकेश जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से ट्रांसफर किया जाता था।
आगे की जांच में सामने आया कि अजाद हुसैन ने फर्जी तरीके से हासिल किए गए भारतीय पासपोर्ट का नवीनीकरण भी हलदार की मदद से कराया। हुसैन भारतीय पासपोर्ट बनवाने के इच्छुक बांग्लादेशी ग्राहकों को हलदार के पास भेजता था और पूरी पहचान प्रक्रिया के लिए उनसे लगभग 50 हजार रुपये वसूले जाते थे। आरोप है कि दोनों ने मिलकर 300 से 400 पासपोर्ट आवेदन प्रोसेस किए।
वहीं, एक अन्य मामले में ईडी ने बताया कि पीएमएलए कोर्ट ने गणेश ज्वैलरी हाउस (इंडिया) लिमिटेड (एसजीजेएचआईएल) से जुड़े बैंक घोटाले में 175 करोड़ रुपये की जब्त संपत्तियों की वापसी का आदेश दिया है।
कोलकाता की सिटी सेशंस कोर्ट ने पीएमएलए, 2002 के तहत जब्त संपत्तियों की रेस्टिट्यूशन को मंजूरी दी। यह मामला एसजीजेएचआईएल और उसके प्रमोटरों निलेश पारेख, उमेश पारेख, कमलेश पारेख और अन्य से जुड़ा है, जिन्होंने कथित तौर पर 25 बैंकों के कंसोर्टियम को 2,672 करोड़ रुपये का चूना लगाया।
ईडी की जांच में सामने आया कि प्रमोटरों ने भारत में कई कंपनियां और दुबई, सिंगापुर व हांगकांग जैसे देशों में पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां बनाई। इन कंपनियों के जरिए सोना, बुलियन और ज्वैलरी की आड़ में राउंड-ट्रिपिंग का जटिल नेटवर्क खड़ा किया गया।
कोलकाता के मणिकंचन में बनी ज्वैलरी को विदेश स्थित अपनी ही कंपनियों को निर्यात दिखाया गया और फिर उसे विदेशी बाजारों में बेचा गया। हालांकि, बिक्री से प्राप्त रकम भारत वापस नहीं लाई गई। इसके बजाय कंपनी ने भारतीय बैंकों से एक्सपोर्ट बिल डिस्काउंटिंग सुविधा का लाभ उठाया, जिससे बैंकों की राशि फंस गई।
ईडी ने पीएमएलए के तहत पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना में कुल 193.11 करोड़ रुपये की संपत्तियां दो अस्थायी कुर्की आदेशों के जरिए जब्त की थीं।