क्या भगत सिंह ने आजादी की जलाई लौ और इंकलाब का नारा स्वतंत्रता संग्राम का बुलंद आवाज बनाया?

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क्या <b>भगत सिंह</b> ने आजादी की <b>जलाई लौ</b> और इंकलाब का नारा स्वतंत्रता संग्राम का <b>बुलंद आवाज</b> बनाया?

सारांश

भगत सिंह का जीवन स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा है। जानिए कैसे इस महानायक ने अपने बलिदान से भारत की आजादी की राह को प्रशस्त किया। उनके विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं।

Key Takeaways

  • भगत सिंह का जीवन प्रेरणा का स्रोत है।
  • उन्होंने अपने विचारों के माध्यम से क्रांति की आग भड़काई।
  • उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।

नई दिल्ली, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कुछ ऐसे नाम हैं, जो आज भी युवाओं में जोश और प्रेरणा का संचार करते हैं। भगत सिंह ऐसे ही एक महानायक हैं।

28 सितंबर, 1907 को पंजाब के बंगा गांव में जन्मे भगत सिंह न केवल एक क्रांतिकारी थे, बल्कि एक विचारक, लेखक और समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की बलिदान दे दिया।

भगत सिंह का जन्म एक देशभक्त सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थे। बचपन से ही भगत सिंह के मन में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश था। लाला लाजपत राय की मृत्यु ने उन्हें क्रांतिकारी गतिविधियों की ओर प्रेरित किया।

साल 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान लाला लाजपत राय की मृत्यु ने भगत सिंह को गहरा आघात पहुंचाया। इसके जवाब में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी सांडर्स की हत्या की, जिसे 'लाहौर षड्यंत्र' के नाम से जाना जाता है।

1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका। उनका उद्देश्य किसी की जान लेना नहीं, बल्कि ब्रिटिश सरकार का ध्यान अपनी मांगों की ओर खींचना था। बम फेंकने के बाद उन्होंने स्वेच्छा से गिरफ्तारी दी और नारा लगाया, "इंकलाब जिंदाबाद।" उनका यह नारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गया।

जेल में रहते हुए भी भगत सिंह ने अपने विचारों को लेखन के माध्यम से व्यक्त किया। उनकी डायरी और लेखों में समाजवाद, समानता और शोषण-मुक्त समाज की बातें स्पष्ट झलकती हैं। उन्होंने न केवल ब्रिटिश साम्राज्यवाद का विरोध किया, बल्कि सामाजिक कुरीतियों और आर्थिक असमानता के खिलाफ भी आवाज उठाई। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं।

23 मार्च, 1931 को मात्र 23 वर्ष की आयु में भगत सिंह को उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी दे दी गई। उनकी शहादत ने देश में स्वतंत्रता की ज्वाला को और भड़का दिया। भगत सिंह ने कहा था, "बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते, क्रांति का आधार विचार होते हैं।" उनके विचार आज भी लाखों युवाओं को प्रेरित करते हैं।

Point of View

जिन्होंने अपने विचारों और बलिदान से देश को एक नई दिशा दी। उनका योगदान न केवल स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण था, बल्कि आज भी उनके विचार हमारे समाज को प्रेरित करते हैं।
NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

भगत सिंह का जन्म कब हुआ?
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को हुआ था।
भगत सिंह ने किस घटना के बाद क्रांति की राह चुनी?
लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद भगत सिंह को क्रांतिकारी गतिविधियों की ओर प्रेरित किया गया।
भगत सिंह की शहादत कब हुई?
भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 को फांसी दी गई।