क्या देश 2047 तक सभी के लिए बीमा विजन की ओर अग्रसर है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत 2032 तक छठा सबसे बड़ा बीमा बाजार बनेगा।
- जीएसटी में कटौती से बीमा प्रीमियम में सुधार।
- इरडाई का कार्य पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करना है।
- विदेशी निवेश की सीमा 100 प्रतिशत करने की योजना।
- बीमा क्षेत्र में 82,000 करोड़ रुपए का निवेश।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत अगले 7 वर्षों में 2032 तक दुनिया का छठा सबसे बड़ा बीमा बाजार बनने की दिशा में अग्रसर है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) के अनुसार, जीवन बीमा में भारत का स्थान दुनिया में दसवां और गैर-जीवन बीमा में 15वां है। 2019 में वैश्विक जीवन बीमा बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2.73 प्रतिशत और वैश्विक गैर-जीवन बीमा में 0.79 प्रतिशत रही।
इस वर्ष स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत की जीएसटी रेट कटौती ने वित्तीय सुरक्षा के विस्तार को तेज किया है। पीएम मोदी ने कहा, "नेक्स्ट जेन जीएसटी सुधार जीवन और स्वास्थ्य बीमा को अधिक किफायती बना रहे हैं। इसके अलावा, ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य की ओर यह एक महत्वपूर्ण कदम है।"
इरडाई पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए भारतीय बीमा उद्योग को विनियमित करता है और इसके समुचित विकास में कार्यरत है।
यदि हम बीमा क्षेत्र के इतिहास और इरडाई की स्थापना की बात करें, तो भारत सरकार ने 1991 में आर्थिक सुधार कार्यक्रम शुरू किए थे। बीमा क्षेत्र में सुधार के लिए 1993 में आर.एन. मल्होत्रा की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। मल्होत्रा समिति ने 1994 में कुछ सुधारों की सिफारिश की थी, जिनमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना शामिल था। इसके अलावा, विदेशी प्रमोटरों को अनुमति देने और सरकार की नियामक शक्तियों को एक स्वतंत्र निकाय को सौंपने की बात की गई थी। इसके बाद, 1999 में इरडाई की स्थापना हुई। इरडाई ने अगस्त 2000 में पंजीकरण के लिए आवेदन आमंत्रित किए। विदेशी कंपनियों को तब 26 प्रतिशत तक के स्वामित्व की अनुमति दी गई थी।
इस वर्ष 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 74 प्रतिशत से 100 प्रतिशत करने की घोषणा की थी, लेकिन यह सीमा केवल उन कंपनियों के लिए होगी जो भारत में संपूर्ण प्रीमियम का निवेश करेंगी।
सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले 9 आर्थिक बिलों में एक बीमा कानूनों में संशोधन करने वाला बिल भी शामिल होगा। सरकार बीमा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 लाने की योजना बना रही है। देश में अब तक बीमा क्षेत्र ने एफडीआई के माध्यम से 82,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है।