शिक्षाविद सी राज कुमार और अभिषेक सिंघवी ने जापानी सांसदों को किया संबोधित?

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शिक्षाविद सी राज कुमार और अभिषेक सिंघवी ने जापानी सांसदों को किया संबोधित?

सारांश

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक सिंघवी ने जापानी संसद में भारत और जापान के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण विचार साझा किए। इस कार्यक्रम में दोनों देशों के लोकतांत्रिक मूल्यों और भविष्य के सहयोग पर चर्चा हुई।

Key Takeaways

  • भारत और जापान के बीच बढ़ता सहयोग
  • अंतर-संसदीय संवाद
  • शिक्षा के माध्यम से संबंधों को मजबूती
  • संयुक्त लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन
  • भविष्य के लिए रणनीतिक साझेदारी

टोक्यो, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने भारत-जापान रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने के लिए आयोजित एक उच्च स्तरीय नीति संवाद के दौरान जापान की संसद नेशनल डाइट में जापानी सांसदों को संबोधित किया।

जापानी पार्लियामेंट्री कमेटी फॉर वर्ल्ड फेडरेशन द्वारा आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का शीर्षक था: "भारत और जापान: लोकतंत्र में साझेदार, नवाचार के चालक और एक सस्टेनेबल भविष्य के निर्माता।"

प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने अपने भाषण में वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में अंतर-संसदीय संवाद और शैक्षिक साझेदारी के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, "हम एक ऐतिहासिक क्षण का सामना कर रहे हैं, जहां विश्वविद्यालयों और संसदों को लोकतंत्र और विकास के भविष्य को आकार देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। भारत और जापान इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं - केवल आर्थिक सहयोग ही नहीं, बल्कि लोगों, ज्ञान और संस्थानों में निवेश करके, जो शांति, न्याय और सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "जापान की संसद में जेजीयू की उपस्थिति संस्कृतियों को जोड़ने और गठबंधन बनाने की शिक्षा की शक्ति का प्रतीक है।

सत्र का मुख्य आकर्षण भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और सांसद (राज्यसभा) डॉ. अभिषेक एम. सिंघवी का संबोधन था। उन्होंने भारत और जापान के साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक संवाद में उनकी क्षमता के बारे में खुलकर चर्चा की।

डॉ. सिंघवी ने प्रौद्योगिकी, शिक्षा, जलवायु लचीलापन और वैश्विक प्रशासन जैसे क्षेत्रों में भारत और जापान के बीच गहन सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, "भारत और जापान केवल परिस्थितियों के आधार पर सहयोगी नहीं हैं - हम लोकतंत्र, नवाचार और वैश्विक जिम्मेदारी के मामले में सभ्यतागत साझेदार हैं।"

सिंघवी ने कहा, "एशिया के दो सबसे मजबूत लोकतंत्रों के रूप में, हमारा काम संयुक्त रूप से उदाहरण प्रस्तुत करते हुए नेतृत्व करना है - बहुलवाद के माध्यम से, शांति के माध्यम से, तथा ग्रह के लिए सैद्धांतिक साझेदारी के माध्यम से।"

इस कार्यक्रम में जापानी विधानमंडल के 35 से अधिक वरिष्ठ सदस्य और सरकारी अधिकारी उपस्थित थे। जापानी पार्लियामेंट्री कमेटी फॉर वर्ल्ड फेडरेशन के पूर्व (17वें) अध्यक्ष सेशिरो एटो ने संवाद का उद्घाटन किया और विशिष्ट भारतीय अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया।

जापान में भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज को इस चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने उच्च शिक्षा और अनुसंधान में सार्थक द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए जापानी संसद के सदस्यों, जापान सरकार और प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार के नेतृत्व में ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के भारतीय प्रतिनिधिमंडल की सराहना की।

जापान के विदेश मंत्रालय के दक्षिण एशिया विभाग के महानिदेशक शिंगो मियामोतो ने विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर उच्च शिक्षा और संस्थागत सहयोग के क्षेत्र में जापान और भारत के बीच तेजी से बढ़ते संबंधों के प्रति आशा व्यक्त की।

जापानी संसद के हाउस ऑफ काउंसिलर्स की सदस्य, लैंगिक समानता की पूर्व मंत्री और सोफिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर कुनिको इनोगुची ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने भारत के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों पर प्रकाश डाला और जापान में भारतीय छात्रों और भारतीय ज्ञान परंपराओं की अधिक उपस्थिति के लिए अपने उत्साह का इजहार किया।

संसदीय विशेषज्ञ और पूर्व संयुक्त राष्ट्र अधिकारी डॉ. सुकेहिरो हसेगावा ने भारत-जापान के बीच मजबूत आदान-प्रदान का स्वागत करते हुए कहा कि जापान को अपनी वैश्विक नीतियों को सशक्त बनाने के लिए तथा दोनों देशों को एक साथ मजबूत वैश्विक नेता बनने के लिए भारतीय रचनात्मकता और कल्पनाशीलता की आवश्यकता है।

इस कार्यक्रम में जापानी राजनीतिक दलों और संसदीय विशेषज्ञों की व्यापक भागीदारी देखी गई, जिससे भारत-जापान संबंधों को मजबूत बनाने में सभी दलों की गहरी रुचि रेखांकित हुई।

जापान के नेशनल डाइट में शामिल प्रतिष्ठित प्रतिभागी:

लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी:

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य, कार्यवाहक महासचिव, शिक्षा, संस्कृति, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पूर्व मंत्री मासाहिको शिबायामा

हाउस ऑफ काउंसिलर्स की सदस्य, को-वाइस चेयरपर्सन, लैंगिक समानता की पूर्व मंत्री कुनिको इनोगुची

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य, विश्व महासंघ के लिए जापानी संसदीय समिति के अध्यक्ष, पूर्व वित्त मंत्री, जापान रक्षा एजेंसी के पूर्व महानिदेशक फुकुशिरो नुकागा

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य रिंटारो इशिबाशी

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य योहेई ओनिशी

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य मासाकी कोइके

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य जुन त्सुशिमा

हाउस ऑफ काउंसिलर्स सदस्य हिरोफुमी ताकीनामी

कांस्टीट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ जापान:

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य युकी बाबा

हाउस ऑफ काउंसिलर्स सदस्य मोटोको मिज़ुनो

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य मोमोरू उमेतानी

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य हिरोकी सैटो

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य शिंजी सुगीमुरा

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य सेकियो मसुदा

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य डाइकी मिचिशिता

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य इस्सेई यामागिशी

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य हिरोशी कासा

हाउस ऑफ काउंसिलर्स सदस्य अयाका शिओमुरा

डेमोक्रेटिक पार्टी फॉर द पीपल:

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य (पूर्व प्रधानमंत्री माननीय युकिओ हातोयामा के पुत्र) किइचिरो हातोयामा

जापान इनोवेशन पार्टी:

हाउस ऑफ काउंसिलर्स सदस्य केंटा आओशिमा

जापानी कम्युनिस्ट पार्टी:

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदस्य तेत्सुया शिओकावा

एनएचके पार्टी:

हाउस ऑफ काउंसिलर्स सदस्य सातोशी हमादा

सांसीतो:

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य युको किटानो

निर्दलीय:

हाउस ऑफ काउंसिलर्स सदस्य माकिको डोगोमे

जापान सरकार:

विदेश मंत्रालय में दक्षिण एशिया विभाग के महानिदेशक शिंगो मियामोतो

सहयोगी संगठन

डब्ल्यूएफएम युवा मंच:

कोजी मितामुरा, अध्यक्ष

मितामुरा समूह (फुकुहो बैंक संस्थापक परिवार, एमईएक्सटी द्वारा सौंपे गए बंकी कॉर्पोरेशन के मालिक, और कोशिनोमियाको मीडिया नेटवर्क) के अध्यक्ष कोहेई मितामुरा

संसदीय विशेषज्ञ:

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पूर्व विशेष प्रतिनिधि डॉ. सुकेहिरो हसेगावा

डब्ल्यूएफएम-जापान की अंतर्राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष और जापानी पार्लियामेंट्री कमेटी फॉर वर्ल्ड फेडरेशन के अवर महासचिव मासाकुनी तानिमोटो

यह संसदीय कार्यक्रम प्रोफेसर राज कुमार का जापान के नेशनल डाइट में दूसरा लगातार संबोधन था। इससे पहले 2024 में उन्होंने 'वैश्विक शासन में भारत और जापान की भूमिका' पर व्याख्यान दिया था।

इस वर्ष उनका फिर से आना ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की अकादमिक कूटनीति के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता और शिक्षा के माध्यम से भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने में इसके बढ़ते नेतृत्व की पुष्टि करता है।

जापान की संसद में हुई बातचीत भारत और जापान के साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, रणनीतिक अभिसरण और पारस्परिक आकांक्षाओं का एक सशक्त प्रमाण था।

इसमें दोनों देशों और व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक लचीले, नवीन और शांतिपूर्ण भविष्य का निर्माण करने में शिक्षा, अनुसंधान और बौद्धिक आदान-प्रदान की अपरिहार्य भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

Point of View

मेरा दृष्टिकोण यह है कि भारत और जापान के बीच के संबंध एक महत्वपूर्ण रणनीतिक संधि के रूप में विकसित हो रहे हैं। यह न केवल आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देता है, बल्कि दोनों देशों की संस्कृति और शिक्षा में भी गहरी जड़ें जमाता है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

जापानी संसद में किसने संबोधन किया?
ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार और डॉ. अभिषेक सिंघवी ने जापानी संसद में संबोधन किया।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या था?
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत-जापान रणनीतिक सहयोग को मजबूत करना था।
क्या विषय पर चर्चा हुई?
इस कार्यक्रम में भारत और जापान के लोकतांत्रिक मूल्यों और भविष्य के सहयोग पर चर्चा हुई।
इस कार्यक्रम में कितने सांसद शामिल हुए?
इस कार्यक्रम में जापानी विधानमंडल के 35 से अधिक वरिष्ठ सदस्य और सरकारी अधिकारी शामिल हुए।
क्या जापान और भारत के बीच संबंधों का भविष्य उज्ज्वल है?
हां, भारत और जापान के बीच संबंधों का भविष्य उज्ज्वल प्रतीत होता है, विशेषकर शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में।